अयोध्या मामले को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को वैकल्पिक जमीन देने का फैसला सुनाया है. आज शुरु में ही चीफ जस्टिस गगोई ने साफ कर दिया कि मामले का फैसले अस्था की बुनियाद पर नहीं बल्कि सबूतों के बुनियाद पर दिया जाएगा। मामले की सुनवाई करते हुए एएसआई की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि बाबरी मस्जिद खाली जगह पर नहीं बनी थी. सुनवाई आगे बढ़ी और एएसआई की रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया कि बाबरी मस्जिद जिस जगह पर बनाई गई थी वहा पर पहले मंदिर था और इसका अस्तित्व पाया गया था. इतना ही नहीं कोर्ट ने एक ट्रस्ट भी केन्द्र सरकार को बनाने को कहा है ताकि मंदिर की देख रेख हो सके. मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का फैसला सुनाया है.
आधे घंटे से ज्यादा चली मामले की सुनवाई
देश के सबसे बड़े और संवेदनशील मामले की आज सुबह 10.30 बजे सुनवाई शुरु हुई, सुनवाई के फौरन बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि मामले का फैसला आधे घंटे बाद आ जाएगा.
कोर्ट के फैसले का अहम प्वाइंट
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने को कहा. साथ ही मुसमलामानों को अयोध्या में उपयुक्त स्थान पर पांच एकड़ का प्लॉट देने का भी आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट बोला- सरकार मुस्लिम को अयोध्या में 5 एकड़ जमीन उपयुक्त स्थान पर देगी
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े का केस खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम को मस्जिद के लिए वैकल्पिक स्थान पर प्लॉट दिया जाय।
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबूत है कि बाहरी स्थान पर हिन्दुओं का कब्जा था, इस पर मुस्लिम का कब्जा नहीं था। लेकिन मुस्लिम अंदरूनी भाग में नमाज़ भी करते रहे। बाबर ने मस्जिद ने बनाई थी लेकिन वे कोई सबूत नहीं दे सके कि इस पर उनका कब्जा था और नमाज़ की जाती थी। जबकि यात्रियों के विवरण से पर चलता है कि हिन्दू यहां पूजा करते थे। 1857 में रेलिंग लगने के बाद सुन्नी बोर्ड यह नहीं बता सका कि ये मस्जिद समर्पित थी। 16 दिसंबर 1949 को आखिरी नमाज की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘हाईकोर्ट का यह कहा कि दोनों पक्षों का कब्जा था’ गलत है उसके सामने बंटवारे का मुकदमा नहीं था। मुस्लिम ये नहीं बता सके कि अंदरुनी भाग में उनका एक्सक्लूसिव कब्जा था।
न्यायालय ने कहा कि पुरातात्विक साक्ष्यों को महज राय बताना एएसआई के प्रति बहुत अन्याय होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबूत है कि बाहरी स्थान पर हिन्दुओं का कब्जा था, इस पर मुस्लिम का कब्जा नहीं था। लेकिन मुस्लिम अंदरूनी भाग में नमाज़ भी करते रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यात्रियों के विवरण को सावधानी से देखने की जरूरत है। वहीं गजट ने इसके सबूतों की पुष्टि की है। हालांकि मालिकाना हक आस्था के आधार पर नहीं तय किया जा सकता।
अयोध्या मामेल पर बोला सुप्रीम कोर्ट: हिन्दुओं की आस्था और विश्वास है कि भगवान राम का जन्म गुंबद के नीचे हुए था। (एएनआई)
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट बोला- ASI की रिपोर्ट में यह निष्कर्ष आया था कि यहां मंदिर था, इसके होने के सबूत हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्थल पर ईदगाह का मामला उठाना आफ्टर थॉट है जो मुस्लिम पक्ष द्वारा ए एस आई की रिपोर्ट के बाद उठाया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम जन्मस्थान पर एएसआई की रिपोर्ट मान्य है।
न्यायालय अब पूजा के अधिकार के लिये गोपाल सिंह विशारद के दावे पर फैसला सुना रहा है। न्यायालय ने कहा कि निर्मोही अखाड़े की याचिका कानूनी समय सीमा के दायरे में नहीं, न ही वह रखरखाव या राम लला के उपासक।
न्यायालय ने कहा कि राजस्व रिकार्ड के अनुसार विवादित भूमि सरकारी है। – भाषा- अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फैसला पढ़ा जा रहा है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम संतुलन पर चलेंगे। किसी के पक्ष में नहीं जाएंगे।
शिया वक्फ बोर्ड का दावा एकमत से खारिज, सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा, ‘हमने 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली शिया वक्फ बोर्ड की सिंगल लीव पिटिशन (SLP) को खारिज करते हैं