Gujarat Exclusive > देश-विदेश > NPR के लिए कोई प्रूफ की जरूरत नहीं, 8500 करोड़ रुपये होंगे खर्च

NPR के लिए कोई प्रूफ की जरूरत नहीं, 8500 करोड़ रुपये होंगे खर्च

0
598

नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर मचे घमासान के बीच केंद्र कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को मंजूरी दे दी है. सूत्रों के हवाले से यह खबर आ रही है. इस पर करीब 8500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. एनपीआर एनआरसी से पूरी तरह अलग है. नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के तहत एक अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है.

एनपीआर का पूरा नाम नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर है. देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना इसका मुख्य लक्ष्य है. इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार में 2010 में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी. तब 2011 में जनगणना के पहले इस पर काम शुरू हुआ था. अब फिर 2021 में जनगणना होनी है. ऐसे में एनपीआर पर भी काम शुरू हो रहा है.

प्रकाश जावडेकर ने NRP के फायदे भी गिनाए. उन्होंने कहा कि इससे तीन फायदे होंगे. आयुष्मान योजना जैसे सभी स्कीम के लिए सही पहचान करने में आसानी होगी. सही और सभी लाभार्थियों तक पैसा पहुंचेगा. उन्होंने बताया कि एनपीआर का एनआरसी से कोई संबंध नहीं है. इसे यूपीए सरकार ने शुरू किया था. यह अच्छा काम था जिसे हम जारी रख रहे हैं.