अहमदाबाद: राज्यसभा सांसद परिमल नाथवानी ने राज्यसभा में एक सवाल पूछा था जिसके जवाब में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और होमियोपैथी (आयुष), राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक ने बताया कि भारत में पंजीकृत 8 लाख आयुष चिकित्सकों में से गुजरात में कुल 49,973 प्रैक्टिशनरों को पंजीकृत किया गया है. देश भर में आयुष मंत्रालय में पंजीकृत कुल 4035 आयुष अस्पतालों में से गुजरात में कुल 64 अस्पताल हैं.
गुजरात में 49,973 आयुष प्रैक्टिशनरों में से, 26,716 आयुर्वेद की प्रैक्टिश कर रहे हैं, अन्य 22930 होम्योपैथी प्रैक्टिशनर हैं और 327 यूनानी प्रैक्टिशनर हैं. गुजरात देश के सभी राज्यों में सबसे अधिक आयुष प्रैक्टिशनरों की सूची में पांचवें स्थान पर है, जबकि महाराष्ट्र 1.53 लाख और बिहार 1.36 लाख प्रैक्टिशनरों के साथ पहले और दूसरे पायदान पर हैं. गुजरात में पंजीकृत 64 आयुष अस्पतालों में 42 आयुर्वेद अस्पताल हैं. जबकि भारत के कुल 4035 आयुष अस्पतालों में से आधे से भी ज्यादा 2316 उत्तर प्रदेश में पंजीकृत हैं.
परिमल नथवाणी ने जानना चाहते थे कि पूरे देश में और अलग-अलग राज्य में कुछ कितने चिकित्सक आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, सिद्धा और प्राकृतिक चिकित्सा में कितने डॉक्टर प्रैक्टिस करते हैं और कितने आयुष अस्पताल स्थित हैं. आयुष की स्वास्थ्य सुविधाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए क्या कुछ पहल की है इसके बारे में जानने की इच्छा व्यक्त की थी.
इसके जवाब में, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के अनुसार, आयुष द्वारा प्रिवेटिव,प्रमोटिव, क्युरेटिव और रेहाबिलिटेटिव सेवाओं को पूरा किया जा रहा है. यह नीति सुनिश्चित करती है कि आयुष उपचार सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाली जगहों पर उपलब्ध है. स्वास्थ्य नीति भी आयुर्वेदिक चिकित्सा मानकों को निर्धारित करने और मान्य करने और जड़ी-बूटियों की गुणवत्ता को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने की आवश्यकता को पहचानती है. स्वास्थ्य नीति स्थानीय-औद्योगिक से लेकर बाज़ार तक एक प्रक्रिया सुनिश्चित करने पर केंद्रित है. औषधीय वनस्पति की व्यवस्थित खेती को मजबूत बनाने के लिए जोर देती है.