भारत से फरार चल रहे कारोबारी विजय माल्या लंदन में रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सामने पेश हुए. कोर्ट के सामने उन्होंने कहा, ‘मैं बैंकों से हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि मूलधन का 100 प्रतिशत तुरंत वापस लें पर मैं भारत जाने के लिए तैयार नहीं हूं.’ 64 वर्षीय माल्या भारत में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में फरार है.
कोर्ट में माल्या ने कहा, ‘प्रवर्तन निदेशालय और बैंकों ने मेरे खिलाफ शिकायत की है कि मैं उन्हें भुगतान नहीं कर रहा हूं. मैंने पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत कोई अपराध नहीं किया है कि प्रवर्तन निदेशालय को मेरी संपत्ति जब्त करनी चाहिए.’ माल्या के मामले की सुनवाई दो जजों की बेंच ने की. इनमें लॉर्ड जस्टिस स्टीफन इर्विन और जस्टिस एलिजाबेथ विंग शामिल थे. बताया जा रहा है कि अपील की अध्यक्षता करने वाले दो जजों की बेंच लॉर्ड जस्टिस स्टीफन इर्विन और जस्टिस एलिजाबेथ लिंग कुछ हफ्तों में फैसला सुनाएंगे.
माल्या के प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ उनकी अपील इस बात पर टिकी है कि कारोबारी के खिलाफ धोखाधड़ी का कोई मुख्य केस है या नहीं. माल्या के वकील ने जोर देकर कहा, ‘किंगफिशर एक ‘व्यवसायिक विफलता’ थी. भारत सरकार के लिए इस मामले का नेतृत्व करने वाले मार्क समर्स ने कहा, ‘हमारा मानना हैं कि उन्होंने कर्ज प्राप्त करने के लिए झूठ बोला. फिर उन्होंने धन वापस देने से इनकार कर दिया.’ वहीं पत्रकारों से बात करते हुए माल्या ने कहा, ‘मैं कह रहा हूं, कृपया बैंक आपका पैसा ले लें. लेकिन ईडी मना कर रहा है. वह कह रहा है कि इन परिसंपत्तियों पर उसका अधिकार है. एक तरफ ईडी और दूसरी तरफ बैंक, एक ही संपत्ति पर लड़ रहे हैं.’ उन्होंने आगे कहा, ‘अगर सीबीआई और ईडी तर्कसंगत तरीके से सोचें तो अलग बात है. हालांकि, वे पिछले चार साल से जो मेरे साथ कर रहे हैं, वह पूरी तरह गलत है.’