कोरोना संकट के बीच जारी लॉकडाऊन के चलते उद्योग-धंधों पर भयंकर असर पड़ा है जिसकी वजह से असंगठित श्रमिक वर्ग और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों का हाल बेहाल हो गया है. शहर में फंसे श्रमिक-कारीगर अपने वतन की ओर कूच कर थे लेकिन गरीबों के इस पलायान से कोरोना संक्रमण न बढ़े, इसके लिये जो जहां है वहीं पर रहे ऐसी नसीहत दी गई बाद में जब बात नहीं बनी तो सख्ती बरती जाने लगी. जिसकी वजह से पलायन तो रूक गया लेकिन अब इन प्रवासी मजदूरों की जिंदगी भी रुक सी गई है.
सूरत में पांडेसरा, उधना, सचीन, लिंबायत, अमरोली, पुणा आदि क्षेत्रों में लाखों श्रमिकों को पलायन करने से रोक कर प्रशासन और सेवा भावी संस्थाओं के माध्यम से सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. भोजन के उपरांत ऐसे श्रमिक वर्ग को लॉकडाऊन की समयावधि में मकान किराये से मुक्ति दिलाने तक के लिये सूरत पुलिस ने प्रयास किये हैं.
बावजूद इसके सूरत जिला प्रशासन को ज्ञात हुआ है कि बड़ी संख्या में प्रवासी श्रामिक अपने वतन की राज्य सरकारों द्वारा शुरु की गई हेल्पलाईंनों पर फोन करके सूरत में उन्हें पर्याप्त भोजन और आवास की सुविधा न मिलने की शिकायतें कर रहे हैं. इन शिकायतों को उक्त सरकारें भी गंभीरता से ले रही हैं, और बदले में इसकी सूचना स्थानीय जिला प्रशासन को दे रही है. स्थानीय जिला प्रशासन भी सूरत पुलिस की मदद से शिकायतों को दूर करने का प्रयास कर रही है.
बता दें कि सूरत में श्रमिकों के आवास की समस्या नई नहीं है. एक-एक रूम में 10-12 कारीगर रहते हैं. चुंकि ये लोग दो पालियों में काम करते हैं, ऐसे में किसी भी एक समय 5-6 लोग की रूम में रहते हैं. लेकिन अब लॉकडाऊन के चलते रूम में एक साथ दस लोगों को रहना पड़ रहा है.
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