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कोरोना रिपोर्ट-19: तालाबंदी से टैक्सी चालकों की हालत खराब, कैब कंपनियों से नहीं मिल रही मदद

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दीपक मसला, अहमदाबाद: तालाबंदी की वजह से गुजरात के हजारों कैब ड्राइवरों की हालत खराब हो गई है. कार कंपनियों ने मदद की घोषणा की थी. लेकिन कुछ ही ड्राइवरों तक उनकी मदद सिमट कर रह गई. जिसकी वजह से लॉकडाउन के बीच ड्राइवर लोगों से पैसे उधार ले रहे हैं या फिर ब्याज पर पैसे लेकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. कार ड्राइवरों और उनके परिवारों को अब राज्य सरकार से आखिरी उम्मीद है. कैब ड्राइवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हिमांशु शाह ने मुख्यमंत्री विजय रूपानी को पत्र लिखकर कैब चालकों के खातों में कुछ अन्य राज्यों की तरह 5,000 रुपये की सहायता प्रदान करने का आग्रह किया है.

राज्य के अहमदाबाद और गांधीनगर में 6000 हजार कैब ड्राइवर हैं और राज्य में लगभग एक लाख ड्राइवर हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इन ड्राइवरों और उनके परिवारों की हालत गंभीर बन गई है. हिमांशु शाह ने कहा, “राज्य में कैब बंद हैं लेकिन हमारे खर्च बंद नहीं हुए हैं” रिज़र्व बैंक के किस्त कटौती की घोषणा के बाद भी बैंकों ने हफ्ता काट लिया है.

बच्चे के दूध और अन्य खर्चों के लिए उधार लिया

अहमदाबाद के जीवराज पार्क में रहने वाले रवि आचार्य ने कहा कि उन्हें अपनी बेटी के दूध और अन्य खर्चों के लिए पैसे उधार लिया है. वह कहते हैं कि अगर सरकार अन्य राज्यों की तरह 5,000 रुपये की सहायता प्रदान करती है तो कुछ समस्याएं दूर हो जाएंगी.

कैब कंपनी ने 1000 रुपये का चैक दिया बाउंस होने पर कटा चार्ज

कार ड्राइवर परवेज नागोरी के परिवार में 11 सदस्य हैं. इस परिवार का भरण पोषण करने के लिए सिर्फ दो लोग कमाने वाले हैं. तालाबंदी के कारण परवेज को बाहर से पैसा लाकर जीविकोपार्जन करता है. कैब कंपनी ने 1000 रुपया का चैक दिया था लेकिन चैक बाउंस होने पर बैंक ने 650 रुपया काट लिया. परवेज ने कहा कि ड्राइवरों को दिल्ली में राज्य सरकार मदद कर रही है. लेकिन यहां राज्य सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही जिसकी वजह से हालत दिन ब दिन खराब होते जा रहे हैं.

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अहमदाबाद के घोड़सर में रहने वाले जिगर प्रजापति के शब्द हैं. उनका कहना है कि कैब कंपनियों ने कुछ ड्राइवरों के खातों में पैसा भेजा था, लेकिन मुझे नहीं मिला.

11 लोगों का परिवार है, जैन संघ ने की मदद

नरोडा इलाके में रहने वाले अशोक शाह, कहते हैं, “हमारे परिवार में 11 लोग हैं और कमाने वाले हम दो भाई. मारा भाई पेपर का फेरी करता है और मैं ड्राइवर. जैन संघ की मदद और भाई की आय अभी वक्त काट रहे हैं.

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