Gujarat Exclusive > गुजरात > अहमदाबाद में प्रवासी श्रमिक के अलावा अब आम आदमी भी खाने को मजबूर, सर्वे में हुआ खुलासा

अहमदाबाद में प्रवासी श्रमिक के अलावा अब आम आदमी भी खाने को मजबूर, सर्वे में हुआ खुलासा

0
2444

अहमदाबाद: कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन की स्थिति में गरीबों, जरूरतमंद परिवारों में असर पड़ा है.IIM अहमदाबाद की ओर से किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि जो सामुदायिक रसोईयां शुरू में 1500-2000 लोगों को खाना दे रहीं थीं, अब 3000-5000 लोगों की खाने की मांग का सामना कर रही हैं. जबकि शुरुआत में यह औद्योगिक क्षेत्रों में मुख्य रूप से प्रवासी श्रमिक को खाना दे रहीं थीं, अब ऐसे परिवार जो इन क्षेत्रों में स्थायी रूप से रहते हैं और दैनिक आय पर निर्भर हैं, वे भी भोजन की मांग करने लगे हैं.

जबकि इनमें से कुछ को स्थानीय उद्योगों की ओर से शुरू में समर्थन मिला था, जब सामुदायिक संगठन उन्हें चला रहे थे. व्यापार न होने के कारण यह समर्थन काफी हद तक बंद हो गया है.

सिविल सोसाइटी, एनजीओ का काम सराहनीय

सिविल सोसाइटी और एनजीओ की ओर से भोजन का वितरण सराहनीय है, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरतमंद तक पहुंच रहा है और उचित गुणवत्ता का है के लिए पर्यवेक्षण और प्रबंधन की भी आवश्यकता है. अन्न ब्रह्म योजना के बारे में यह सुझाव दिया गया कि जनता और विक्रेताओं को स्पष्ट एवं एक जैसे सन्देश दिए जाएं जिससे लोगों के बीच भ्रम न फैले. लाभार्थियों की पहचान, लाभ, पंजीकरण, आवेदन प्रक्रिया और लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया पर स्पष्ट दिशानिर्देश प्रसारित किए जाने चाहिए. जिन स्थानों पर फॉर्म उपलब्ध हैं, उनके पते और संपर्क विवरण की जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए.

https://archivehindi.gujaratexclsive.in/the-condition-of-gujarat-due-to-corona-is-poor-a-quarter-of-the-deaths-in-just-three-days/