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बेसहारा हुए गुजरात में प्रवासी मजदूर, घर वापसी को लेकर नहीं मिल रही पुख्ता जानकारी

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कोरोना की वजह से जारी तालाबंदी के तीसरे पार्ट के शुरू होते ही कई तरह की रियायत दी गई है. इतना ही नहीं प्रवासी मजदूरों को उनके गांव भेजने के लिए कई श्रमिक विशेष ट्रेन चलाने का फैसला किया है लेकिन सरकार का ये फैसला इतना पैचीदा है कि प्रवासी मजदूरों के समझ से काफी दूर है. इतना ही नहीं लॉकडाउन के कारण घरों पर बैठे लोगों का सब्र अब जवाब देने लगा है. जिसकी एक झलक वापी, सूरत और राजकोट जैसे कई जगहों पर दिखी. कई दिनों की बेरोजगारी और प्रशासनिक सूचनाओं के बावजूद कंपनियों की ओर से वेतन न मिलने से परेशान श्रमिक किसी भी हाल में गांव जाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें कहीं से मार्गदर्शन या मदद मिलती नहीं दिख रही है.

बीते कुछ दिनों से गांव जाने के लिए लोगों को पास बनाए जाने का पता चलने पर सुबह में वापी छीरी पुलिस चौकी पर जमा हो गए थे. यहां पुलिस ने लोगों को कहा कि इस संबंध में यहां से कोई प्रक्रिया नहीं होगी. इसके लिए प्रक्रिया कहां से होगी यह जानने की कोशिश में यहां भीड़ बढ़ गई. लोगों ने कहा कि उन्हें गांव जाने की अनुमति मिलनी चाहिए. भीड़ बढ़ती देखकर ज्यादा पुलिस बल मंगवा लिया गया और डंडे भांजकर भीड़ को तितर बितर कर दिया. इस दौरान लोगों में आक्रोश हो गया था. इसके चलते भीड़ कुछ देर के लिए सड़क पर बैठ गई, लेकिन पुलिस ने कुछ समझाइश और कुछ सख्ती से लोगों को खदेड़ दिया. कई लोगों को पकड़कर पुलिस ने डंडे भी बरसाए.

पुलिस के खदेड़े जाने पर लोग तहसीलदार कार्यालय भी पहुंचे, लेकिन यहां से भी उन्हें कोई संतोषप्रद जवाब नहीं मिला. टाउन थाने भी यही हाल रहा. यहां भी काफी लोग जमा हुए थे. बाद में थाने के बाहर पुलिस ने गांव जाने की मंजूरी के लिए ऑनलाइन आवेदन करने से लेकर की जाने वाली प्रक्रिया की जानकारी की सूचना चस्पा की. बहुत से लोग तो वलसाड भी पहुंच गए थे. लेकिन हर तरफ से उन्हें निराशा ही हाथ लगी.

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