गुजरात के अहमदाबाद शहर में कोरोना की वजह जारी तालाबंदी का असर दिहाड़ी मजदूरों के साथ ही साथ आम लोगों की जिंगदियों पर पड़ने लगी है. तालाबंदी के पहले चरण और दूसरे चरण में लोगों ने जिस तरीके से दिल खोलकर लोगों की मदद की थी वह जज्बा अब नहीं देखने को मिल रहा ऐसे में एक सर्वे में चौकाने वाली जानकारी सामने आई है.
सर्वे के अनुसार बंद की वजह से कम से कम 85 फीसदी दिहाड़ी श्रमिकों की नियमित आय प्रभावित हुई है. आईआईएम अहमदाबाद की ओर से कराए गए एक सर्वेक्षण में यह आंकड़ें सामने आए हैं. कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए मार्च से ही देशव्यापी बंद जारी है जिसकी वजह से कई अकुशल और दिहाड़ी श्रमिकों से रोजगार के साधन छिन गए हैं. जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि आईआईएम-अहमदाबाद ने शहर के वैसे 500 घरों को लेकर सर्वेक्षण किया जो प्रति महीना 19,500 रुपये से कम कमाते हैं. सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि कम से कम 85 फीसदी परिवार ऐसे हैं जो नियमित रूप से कमाई नहीं कर पा रहे हैं और उनमें से ज्यादातर की कमाई बंद के दौरान खत्म हो चुकी है या खत्म हो जाएगी.
अध्ययन के अनुसार ज्यादातर परिवारों की महीने की कमाई (10,000 रुपये से 15,000 रुपये) खत्म हो चुकी है. सर्वेक्षण में 500 परिवारों में से 54 फीसदी परिवारों का कहना है कि वह पहले तीन वक्त का खाना खाते थे जिसे अब कम करके दो वक्त का कर दिया गया है. वहीं 60 फीसदी लोग ऐसे हैं जिन्होंने कहा कि बंद के दौरान जिंदगी चलाने के लिए उनके पास पर्याप्त राशन नहीं है. यह सर्वेक्षण 24 मार्च से नौ अप्रैल के बीच में किया गया. इन परिवारों में बस चालकों, ऑटोरिक्शा चालकों, दिहाड़ी श्रमिक, प्लंबर और सब्जी विक्रेताओं के परिवार शामिल हैं क्योंकि बंद की वजह से व्यापक स्तर पर ऐसे लोगों की कमाई प्रभावित हुई है. यह अध्ययन आईआईएम के शोधकर्ताओं ने प्रोफेसर अंकुर सरीन के नेतृत्व में किया.
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