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अहमदाबाद में कोरोना संकट के बीच नगर आयुक्त के पद के लिए चल रही है आपसी जंग

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हितेश चावड़ा, गांधीनगर: पिछले दो दिनों से अहमदाबाद नगर निगम के आयुक्त (एएमसी) विजय नेहरा इस बात की घोषणा कर रहे हैं कि वह फिट और स्वस्थ्य हैं लेकिन इसके बावजूद वे अब तक दफ्तर जाना शुरू नहीं कर पाए हैं. कोरोना पॉजिटिव रोगियों के संपर्क में आने के बाद उन्हें पिछले मंगलवार को होम क्वारेंटाइन किया गया था. तब से वह अपने कार्यभार से दूर हैं.

पिछले मंगलवार को अचानक नेहरा की अनुपस्थिति में पूर्व नगर निगम आयुक्त मुकेश कुमार को अहमदाबाद नगर आयुक्त का अंतरिम पदभार दिया गया. एक अन्य वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजीव कुमार गुप्ता को अहमदाबाद के संपूर्ण संकट के प्रबंधन को संभालने के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई. समझा जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता (पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह) अहमदाबाद में संकट से उबरने के लिए की जा रही व्यवस्था से नाखुश थे. देश के सर्वाधिक कोरोना संक्रमित में अहमदाबाद मुंबई के बाद दूसरे स्थान पर है. वास्तव में अहमदाबाद देश का एकमात्र ऐशा शहर है जिसके हर वार्ड में कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं.

इस स्थिति से शहर की प्रशासन की दक्षता पर सवाल उठने लगे हैं. प्रधान मंत्री और गृह मंत्री दोनों ने बहुत लंबे समय तक अहमदाबाद का प्रतिनिधित्व किया है. पीएम मोदी अपने शुरुआती दिनों में मणिनगर से विधायक थे जबकि गृमंत्री अमित शाह सरखेज से थे. यदि अहमदाबाद कोरोना संकट को संभालने में असफल रहता है, तो उनके गृह शहर में संकट से निपटने के बारे में सवाल पूछे जाएंगे. यही वजह है कि सूबे के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को बिगड़ती स्थिति से उबारने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए दबाव डाला गया.

उसी दिन आपातकालीन बैठकों का दौर चला. इसमें मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव और गुजरात में पीएम की आंख और कान माने जाने वाले के. कैलाशनाथन और मुख्य सचिव अनिल मुकीम के साथ राजीव गुप्ता और मुकेश कुमार मौजूद रहे. हालांकि होम क्वारेंटाइन में चल रहे और तकनीकी रूप से दक्ष माने जाने वाले नेहरा से कोई चर्चा नहीं की गई. इसके बाद ही खबरें आई थीं कि नेहरा को दरकिनार कर दिया गया है.

बैठक के तुरंत बाद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने यह भी घोषणा की कि अहमदाबाद उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है. अगले दिन पूरे अहमदाबाद में दवाई और दूध को छोड़कर सभी दुकानों को एक हफ्ते के लिए बंद करने का फैसला किया गया. व्यापक प्रसार वाली महामारी को नियंत्रित करने के लिए यह अब तक की सबसे कड़ा फैसला था. नई टीम ने मैराथन बैठकें कीं और लगातार तीन दिनों तक बड़े फैसले लिए लेकिन होम क्वारेंटाइन में चल रहे नगर आयुक्त नेहरा से कोई परामर्श नहीं किया गया और न ही उन्होंने किसी भी बैठक में हिस्सा लिया.

हालांकि अचानक बदलावों के दौर में चार दिनों के अंदर नगर निगम के आयुक्त नेहरा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से घोषणा की है कि वह फिट और स्वस्थ्य हैं जिसने उनके फिर से उनके कार्यभार को संभालने की उत्सुकता जाहिर कर दी.

क्या कभी ऐसा होता है कि शहर के सभी नागरिक मामलों के प्रभारी को अपने कार्यभार को संभालने के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता होती है. लेकिन इतनी सारी स्वत: घोषणाओं के बावजूद, वे अपना कार्यभार नहीं संभाल पाए हैं. यह मामला पिछले दो दिनों से मुख्य सचिव के पास है और मुख्य सचिव ने होम क्वारंटीइन में अधिकारी की सोशल मीडिया पर की गई घोषणाओं के बारे में सोचे बिना नई टीम को काम जारी रखने को कहा है.

वस्तुतः यह पुराने और नए पहरेदारों के बीच जंग है. नई टीम इस बात पर जोर दे रही है कि अगर स्थिति को नियंत्रण में लाना है तो उन्हें आवश्यक कार्रवाई करने की पूरी आजादी दी जानी चाहिए. दूसरी ओर राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया पर घोषणाओं के माध्यम से नेहरा उन्हें बहाल करने के लिए सरकार पर दवाब बना रहे हैं. कई विशेषज्ञों का मानना है कि अहमदाबाद अपने सबसे खराब संकट के साथ-साथ एक ही समय में अपने सबसे खराब नौकरशाही संघर्षों का सामना भी कर रहा है.

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