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प्रवासी मजदूर सूरत से लौटा गांव, खुद ही खेत में हुआ क्वारेंटाइन अभी तक नहीं हुआ टेस्ट

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कानपुर के मोहन नगर गांव में रहने वाले सौरभ कुशवाहा गुजरात के सूरत से श्रमिक एक्सप्रेस से वापस लौटे हैं. लॉकडाउन के दौरान वह सिलाई कारखाने में काम करते थे, जहां काम बंद हो गया. श्रमिक एक्सप्रेस के माध्यम से वह 25 मई को इलाहाबाद पहुंचे. जहां वह बस और फिर पैदल गांव पहुंचे.

जब सौरभ की गांव पहुंचने की सूचना ग्रामीणों में लगी तो वह चर्चा का विषय बन गई कि आखिर बिना स्क्रीनिंग के वह गांव कैसे आ गया? किसी को तकलीफ न हो इसलिए सौरव ने बताया कि उसने अपने घरवालों को फोन करके बताया कि वह गांव आ गया है. मगर घर नहीं आएगा. न तो प्रयागराज में उसका ब्लड सैंपल लिया गया और न ही कानपुर के भौंती पहुंचने पर किसी ने सैंपल लिया. इसके बाद सौरभ ने अपने घर न जाकर अपने खेतों पर खुद मचान बनाकर अपने आपको क्वारेंटाइन कर लिया है.

सौरभ ने बताया की पहली रात खेत पर मचान बनाकर गुजारी. जब गांव के स्वास्थ्यकर्मी आशा बहू व जिम्मेदार लोगों ने सुध नहीं ली तो उसने गुरुवार को कल्याणपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर थर्मल स्कैनिंग कराई. शारीरिक ताप सामान्य था तो डॉक्टर ने घर जाकर आराम करने की सलाह दी. सौरभ ने बताया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर उसने मौजूद चिकित्सक से यह बताया कि वह श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन से आया है और इतना लंबा सफर तय करके आया है इसलिए वह नहीं चाहता कि कहीं उसकी वजह से किसी प्रकार की कोई तकलीफ गांव वालों को हो. उसका ब्लड सैंपल लिया जाए? मगर डॉक्टरों ने उसे वहां से उसे वापस भेज दिया. फिर वह खेत पर पर आया और मचान में जाकर रुक गया.

घरवाले दूर से देते हैं खाना

पिता राम प्रकाश कुशवाहा ने बताया कि गांव में सभी को सौरभ के आने की जानकारी है. स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन के जिम्मेदारों ने एक बार भी उनकी सुध लेने तक का प्रयास नहीं किया. यह पूछे जाने पर कि सौरभ को खाना कहां से मिलता है? तो सौरभ के पिता ने बताया कि हम दूर से ही खेत की मोड़ पर खाना रख देते हैं और वह थोड़ी देर बाद आकर उसे खुद ले जाता है.

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