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श्रद्धालुओं को हटाने के लिए पुलिस ना करे लाठी का इस्तेमाल: प्रदीप सिंह जाडेजा

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अहमदाबाद: भगवान जगन्नाथ की 143 वीं रथयात्रा निकालने को लेकर गुजरात हाईकोर्ट में देर रात तक सुनवाई चली जिसके बाद कोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज कर रथयात्रा पर लगाई गई रोक को बरकरार रखा. जिसके बाद मंदिर परिसर में ही भगवान जगन्नाथ की 143 वीं रथयात्रा निकाली गई. इस मौके पर मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. पुलिस श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए लाठी का इस्तेमाल कर रही थी. जिसे देखकर गृह मंत्री प्रदीप सिंह ने पुलिस को नसीहत दी कि वह भक्तों को हटाने के लिए लाठी का उपयोग ना करें.

भगवान जगन्नाथ की 143 वीं रथयात्रा पर लगी रोक के बाद मंदिर परिसर में ही भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई. गृह मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने मंदिर में सुरक्षा के लिए मौजूद पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह श्रद्धालुओं को हटाने के लिए लाठी का इस्तेमाल ना करें. लेकिन कोरोना काल में निकलने वाली इस रथयात्रा में लोगों की भीड़ को काबू में करने के लिए लाठी का इस्तेमाल कर रही थी. इस दृश्य को देखकर गृह मंत्री ने आईपीएस अमित विश्वकर्मा का नाम लेकर बुलाया. भीड़ ज्यादा होने की वजह से वह मिलने नहीं आए जिसके बाद प्रदीप सिंह ने वहां मौजूद डीसीपी को आईपीएस विश्वकर्मा को बुलाने के लिए कहा. जैसे ही विश्वकर्मा आए, गृह मंत्री ने कहा, “मैंने आपको चार बार बुलाया लेकिन आपने सुना ही नहीं. पुलिस से कहिए श्रद्धालुओं को हटाने के लिए लाठी का इस्तेमाल ना करें. लाठी रखकर पुलिस लोगों को संभालने का काम करे.

मंदिर से निकलने के दौरान भी गृह मंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने पुलिस को नसीहत देते हुए कहा कि लोगों को हटाए नहीं बल्कि ऐसा आयोजन करें कि लोग आसानी से दर्शन कर सकें.

गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कोरोना संकटकाल में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए रथयात्रा रोक लगा दी थी. वहीं सरकार की ओर मामले को लेकर दलील दी गई थी कि जिस तरीके से सुप्रीम कोर्ट ने पुरी जगन्नाथ की रथयात्रा को शर्तों के साथ निकालने की इजाजत दी है उसी तरह से अहमदाबाद में भी रथयात्रा को निकालने की इजाजत दी जानी चाहिए. जिसके जवाब में उच्च न्यायालय ने कहा कि पुरी और अहमदाबाद की रथयात्रा की तुलना नहीं की जा सकती.

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