अहमदाबाद: कोरोना के कोहराम पर काबू पाने के लिए लगातार लागू किए गए तालाबंदी की वजह से लोगों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. काम धंधा चौपट होने की वजह से सिर्फ अहमदाबाद के 110 लोगों ने बीते डेढ़ महीने में आत्महत्या की है. तालाबंदी की वजह से नौकरी जाने और काम धंधा बंद होने की वजह से सबसे ज्यादा पुरुषों ने आत्महत्या की है.
अहमदाबाद के पूर्व जोन में 52 और पश्चिम जोन में 26 लोगों ने आत्महत्या की है. इसके अलावा आर्थिक तंगी से परेशान 11 लोगों ने आत्महत्या की है. शहर में 1 जून से 13 जुलाई तक यानी डेढ़ महीने के दौरान 110 लोगों ने आत्महत्या किया है जिसमें 82 पुरुष और 28 महिलाएँ हैं.
आर्थिक तंगी से परेशान पुरुषों ने की आत्महत्या
गुजरात में कोरोना से प्रभावित जिलों में अहमदाबाद का सबसे पहला नाम आता है. अहमदाबाद म्युनिसिपल कार्पोरेशन कोरोना पर काबू पाने के लिए शहर के अधिकांश इलाकों को माइक्रो कंटेनमेंट ज़ोन में शामिल कर दिया है. कोरोना पर काबू पाने के लिए लागू की गई तालाबंदी की वजह से लोगों की आजीविका पर बड़ा प्रभाव पड़ा क्योंकि काम- धंधा बंद हो चुके हैं. माना जा रहा है कि ऐसे लोग आत्महत्या की तरफ बढ़ रहे हैं जिनके परिवार में ज्यादा सदस्य हैं और कमाने वाले कम.
हालाँकि सरकार ने अनलॉक-1 और-2 में काफी रियायत देते हुए काम धंधा को एक बार फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर रही है. लेकिन तालाबंदी के लंबे दौर में कई लोगों की नौकरी चली गई है. वहीं काम और धंधा करने वाले लोगों को भी आज भी कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है क्योंकि खरीददार ही नहीं मिल रहे हैं. जिसकी वजह आम आदमियों के साथ ही साथ काम धंधा करने वाले लोग भी परेशान है. इन ढेड महीनों के बीच आत्महत्या करने वाले 110 में से 82 लोगों ने आर्थिक तंगी के साथ-साथ पारिवारिक परेशानी की वजह से आत्महत्या की है.
महिलाओं की आत्महत्या के पीछे शारीरिक-मानसिक यातना जिम्मेदार है
केवल डेढ़ महीने में शहर में आत्महत्या करने वाले 110 लोगों में से 82 पुरुष और 28 महिलाएं थीं. जिसके पीछे घरेलू झगड़ा भी उतना ही जिम्मेदार है. घरेलू हिंसा की शिकार हुआ महिलाओं ने शहर के विभिन्न पुलिस थानों में महिलाओं ने शारीरिक और मानसिक शोषण की शिकायतें भी दर्ज कराया है.लेकिन महिलाओं ने आत्महत्या जैसा खतरनाक कदम उठाया है.
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