गांधीनगर: जहां एक तरफ घातक कोरोना वायरस पूरे देश में कोहराम मचा रहा है, वहीं दूसरी तरफ गुजरात में भी कोरोना बेकाबू होते हुए नजर आ रहा है. गुजरात सहित देश भर की औद्योगिक इकाइयाँ कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लागू की गई तालाबंदी की वजह से ठप्प पड़ गई हैं. जिसकी वजह से इसमें काम करने वाले सैकड़ों प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया था. काम धंधा ठप्प होने की वजह से प्रवासी मजदूरों को घर जाना पड़ा था.
कोरोना और तालाबंदी की वजह से गुजरात में काम करने वाले सैकड़ों प्रवासी मजदूर वतन वापसी कर चुके हैं. तालाबंदी के दौरान हजारों की संख्या प्रवासी मजदूर सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर घर जाने को मजबूर हुए थे. मजदूरों को होने वाली दिक्कत को मद्देनजर रखते हुए केंद्र ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाकर मजदूरों को उनके घर भेजने की व्यवस्था की.
इस मामले को लेकर राज्य सरकार द्वारा संचालित महात्मा गांधी लेबर इंस्टीट्यूट (MGLI) की ओर से ” माइग्रेशन ऑफ वर्कर्स बाय श्रमिक स्पेशल ट्रेन” शीर्षक से एक अध्ययन किया गया था. जिसके अनुसार गुजरात के 15 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर कोरोना की वजह से लागू की गई तालाबंदी से परेशान होकर घर वापसी कर चुके हैं.
अध्ययन के अनुसार, “राज्य के डायमंड सिटी सूरत से सबसे अधिक 7 लाख प्रवासी श्रमिक, अहमदाबाद से 3 लाख प्रवासी और राजकोट से 1 लाख प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंच गए हैं. इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि 94 प्रतिशत प्रवासी श्रमिक स्थिति में सुथार आने के बाद गुजरात लौटने के इच्छुक थे.
उल्लेखनीय है कि गुजरात में लगभग 30 लाख लोग प्रवासी रहते हैं. जिनमें से लगभग 23 लाख प्रवासी श्रमिक हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं. लॉकडाउन की वजह से गुजरात की बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां और कारखाने बंद हो गए जिसकी वजह से प्रवासियों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई. हालात खराब होने की वजह से प्रवासी मजदूरों ने घर वापसी का फैसला किया था.
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