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अस्पताल में डॉक्टर सहित स्टाफ 24 घंटे तैनात
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मरीजों के परिजनों में दिखी संतुष्टि की भावना
अहमदाबाद के जीसीएस अस्पताल कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से ही कोरोना वायरस के मरीज और रोगियों के लिए आशा की किरण साबित हो रही है.
जीसीएस अस्पताल के कोरोना विभाग ने अब तक कोरोना के 2 हजार से ज्यादा संदिग्ध और पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया गया है.
कोरोना संकट के बाद बनाया गया प्रवेश वार्ड
बीते दिनों गुजरात सरकार ने जीसीएस अस्पताल को कोरोना उपचार के लिए नामित किया गया था. तब से जीसीएस अस्पताल कोरोना रोगियों के उपचार के लिए अलग प्रवेश वार्डस और कर्मचारियों को आवंटित किया गया है.
जीसीएस अस्पताल में 24 घंटे काम करने वाले डॉक्टरों, प्रशिक्षित नर्सों और कर्मचारियों के प्रयासों की बदौलत कोरोना का इलाज कराने वाले अधिकांश मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं.
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जीसीएस अस्पताल के निदेशक डॉ. कीर्ति पटेल ने कहा
“जीसीएस अस्पताल में वर्तमान में कोरोना मरीजों के लिए 386 बेड की व्यवस्था की गई हैं, जिसके लिए हमारे डॉक्टर सहित सभी कर्मचारी अथक प्रयास कर रहे हैं. कोरोना मरीजों का बेहतर इलाज के लिए चौबीसों घंटे चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सक, एनेस्थेटिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट, पैरामेडिकल स्टाफ सहति स्टाफ मौजूद रहता है.”
इस सिलसिले में जानकारी देते हुए वरिष्ठ महाप्रबंधक नेहा लाल ने कहा,
“कोरोना महामारी के कारण राज्य में रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है. एक विशेष हेल्पलाइन स्थापित की गई है, ताकि अस्पताल में इलाज करवा रहे रोगियों के परिजन चिंतित और भ्रमित न हों और उन्हे मानसिक तनाव का शिकार ना होना पड़ा. जिसके तहत अस्पताल रोजाना मरीजों के परिजन को फोनकर रोगी के स्वास्थ्य और वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी जाती है.”
जीसीएस अस्पताल में इलाज से उबरने वाले मरीजों की प्रतिक्रिया
क्रुणाल पटेल ने कहा कि “मेरे पिता विनोदभाई पटेल को खांसी, कफ, तेज बुखार और कमजोरी जैसे लक्षण थे. 10 जून को उनकी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाज उन्हे जीसीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हम जीसीएस अस्पताल की सुविधाओं और सेवाओं से बहुत प्रभावित हुए हैं. अस्पताल के विशेष हेल्पलाइन से हमें नियमित फोन कर रोगी की स्थिति के बारे में जानकारी दी जा रही थी. यह एक अच्छी और नई पहल है.”
एक अन्य परिजन आशीष गौतम ने कहा, “2 जुलाई को मेरे पिता जगजीवन मणिलाल गौतम को सांस लेने में परेशानी हो रही थी, इसलिए हम उन्हें इलाज के लिए जीसीएस अस्पताल में लेकर आए. उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया और ऑक्सीजन के सहारे पर रखा गया. मेरे पिता की स्थिति को लेकर हर दिन फोन कर जानकारी दी जा रही थी. इतना ही नहीं अस्पताल द्वारा अच्छा उपचार और सेवाएं बिल्कुल मुफ्त दी गई.”
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