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मौत के बाद भी चैन नहीं, मृत्यु प्रमाण पत्र देने में कोविड अस्पतालों की धांधली

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  • अहमदाबाद में बढ़ा कोरोना का कहर
    सिविल अस्पताल पर लग रहा आरोप
    मृत्यु प्रमाण पत्र लेने के लिए खाना पड़ता है धक्का

अहमदाबाद: शहर के न्यू सिविल अस्पताल, किडनी अस्पताल, कैंसर अस्पताल सहित किसी भी कोविड अस्पताल में कोरोना मरीज के मौत के बाद शव को उनके परिवार को नहीं दिया जाता है.

नियमों के अनुसार अस्पताल द्वारा उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है.

कोविड अस्पताल में मरने वाले मरीजों के परिजन को अस्पताल की ओर से मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं देने का आरोप लग रहा है.

सामाजिक कार्यकर्ता ने लगाया आरोप

जहाँगीरपुर यूथ एंड फ्रेंड्स सर्कल के सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण सिंह दरबार प्रतिदिन सुबह सिविल अस्पताल में मरीजों की सेवा के लिए जाते हैं.

उनके अनुसार, यदि कोरोना पॉजिटिव मरीज़ों को भर्ती किया जाता है. तो मरीज के परिजन को अस्पताल के अंदर या फिर अस्पताल के बाहर मरीज की देखभाल के लिए रखा नहीं जाता.

ऐसे में अगर मरीज की इलाज के दौरान मौत हो जाती है तो मरीज के परिजन को फोन कर इसकी जानकारी दी जाती है.

अस्पताल की भूल की वजह से कोरोना मरीजों के परिजन को मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करने के एक नहीं बल्कि कई धक्के अस्पताल का खाना पड़ता है.

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मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए खाना पड़ता है अस्पतालों का धक्का

सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण सिंह दरबार के अनुसार मृत कोरोना मरीजों के रिश्तेदारों मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए एक बार नहीं बल्कि कई बार अस्पताल का धक्का खाना पड़ता है.

इतना ही नहीं कुछ मामलों में तो रिश्तेदारों को दो-दो महीनों का इंतजार करना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में अस्पताल प्रशासन को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि रिश्तेदारों को फौरन मृत्यु प्रमाण पत्र दे दिया जाए.

गौरतलब है कि अहमदाबाद से असारवा इलाके में मौजूद सिवाल अस्पताल में सिर्फ अहमदाबाद के नहीं बल्कि आसपास के गांवों के कोरोना मरीजों को इलाज के लिए भर्ती कराया जा रहा है.

मरीजों की संख्या ज्यादा होने की वजह से मरीजों के रिश्तेदारों को छोटी-छोटी बात के लिए अस्पताल का धक्का खाना पड़ता है.

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