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मोहर्रम: PM मोदी ने इमाम हुसैन के बलिदान को याद किया, कहा- उनकी सीख आज भी प्रासंगिक

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  • इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम मोहर्रम है
  • यजीद की फौज ने इसी महीने के 10 तारीख को इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को कर दिया था शहीद
  • उनकी याद में पूरी दुनिया के साथ भारत में मनाया जाता है मोहर्रम 
  • इंसानियत की आवाज को इमाम हुसैन ने किया था बुलंद
  • पीएम मोदी ने ट्वीट कर इमाम हुसैन की शहादत को किया यादा 

पूरी दुनिया के साथ देश में आज मोहर्रम मनाया जा रहा है. इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम मुहर्रम है. इसे गम का महीना इसलिए कहा जाता है.

क्योंकि इसी महीने की 10 तारीख को पैगम्बर-ए-इस्‍लाम हज़रत मोहम्‍मद साहब के नाती हज़रत इमाम हुसैन समेत उनके 72 साथियों को कर्बला में शहीद कर दिया गया था.

शिया समुदाय के लोग इस दिन मातम मनाते हैं और जुलूस निकालते हैं. वहीं अन्य मुस्लिम समुदाय के लोग नौवें और सदवें मोहर्रम के रोज रोजा रखते हैं.

पीएम मोदी ने ट्वीट कर उनकी शहादत को किया यादmoharram news pm modi

मोहर्रम के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इमाम हुसैन के बलिदान को याद किया. पीएओ की ओर से किए गए ट्वीट में लिखा गया- इमाम हुसैन के पवित्र संदेश को आपने अपने जीवन में उतारा है और दुनिया तक उनका पैगाम पहुंचाया है.

इमाम हुसैन अमन और इंसाफ के लिए शहीद हो गए थे. उन्होंने अन्याय, अहंकार के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की थी.

उनकी ये सीख जितनी तब महत्वपूर्ण थी उससे अधिक आज की दुनिया के लिए ये अहम है: PM

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यजीद के रास्ते पर चलने से इमाम हुसैन ने किया था इनकारmoharram news pm modi

आज से लगभग 1400 साल पहले तारीख-ए-इस्लाम में कर्बला की जंग हुई थी. ये जंग यजीद के जुल्म के खिलाफ इंसाफ के लिए लड़ी गई थी. इसमें पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को शहीद कर दिया गया था.

दरअसल यजीद नामक तानाशाह लोगों पर काफी जुल्मों सितम करता था. उसने इमाम हुसैन को खत लिखकर उसके रास्ते पर चलने को कहा था.

लेकिन इमाम हुसैन ने ऐसा करने से इनकार कर दिया जिसके बाद मोहर्रम महीने की 2 तारीख को इराक से कर्बला से अपने साथियों के साथ कूफा शहर जाने लगे. तभी यजीद की फौज ने इन लोगों को रोक लिया.

10 मोहर्रम के दिन यजीद की फौज ने कर दिया था शहीदmoharram news pm modi

इमाम हुसैन के साथियों को नहर से पानी लेने पर यजीद पाबंदी लगा देता है. इससे उनके साथियों को पानी नहीं मिल पाता है. 2 से लेकर 7 मोहर्रम तक इमाम हुसैन और उनके काफिले के पास जितना पानी था वह खत्म हो जाता है.

जिसके बाद 7 से लेकर 10 मोहर्रम जिसे आशूरा भी कहा जाता है भूखा-प्यासा रहा.

10 मुहर्रम के दिन यजीद की फौज ने इमाम हुसैन के 72 साथियों को कर्बला के मौदान में शहीद कर दिया गया था.

भारत में उनकी याद में मनाया जाता है मोहर्रमmoharram news pm modi

माना जा रहा है कि इमाम हुसैन को हमारे देश हिंदुस्तान से बहुत प्यार था. वह हिंदुस्तान जाना चाहते थे लेकिन यजीद की फौज ने उन्हे शहीद कर दिया. उनकी मोहब्बत में आज पूरे देश में जुलूस निकाला जाता है.

इमामबाड़ों में इमाम हुसैन की शहादत को लेकर तकरीर की जाती है. शाम होते ही लोग इमामबाड़ो के सामने शिया समुदाय के लोग मातम भी मनाते हैं.

वहीं कुछ लोग ताजिया निकालते हैं. लेकिन इस साल कोरोना की वजह से लागू तालाबंदी की वजह से ताजिया के जुलूस को निकालने की इजाजत नहीं दी गई है.

उनकी सीख आज भी उतनी प्रासंगिकmoharram news pm modi

1400 सालों पहले इमाम हुसैन ने यजीद की फौज से सामने जो नाइंसाफी को लेकर जो आवाज बुलंद की थी उसकी वजह से आज भी उन्हे याद किया जाता है.

पूरे विश्व में 10 मोहर्रम के दिन उनकी याद में ग़म मनाया जाता है. मोहर्रम के दिन भारत में मातम की मजलिस के साथ पानी, शरबत आदि बांटकर इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत को याद करते हैं.

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