- कोरोना महामारी के दौर में रूपाणी सरकार ने लिया बड़ा फैसला
- सरकारी कर्मचारियों को दिया बड़ा झटका
- कर्मचारियों के वेतन में 30 फीसदी कटौती का फैसला
गांधीनगर: कोरोना महामारी की वजह से लागू की गई तालाबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. ऐसे में गुजरात सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को लेकर एक बड़ा फैसला किया है.
गुजरात सरकार ने संविदा कर्मचारियों के वेतन में कटौती करने का बड़ा फैसला किया है.
सरकार और पंचायत के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता भी नहीं देने का भी फैसला किया है.
गुजरात सरकार ने 1 जनवरी 2020 से 13 मार्च, 2021 तक कर्मचारियों को देय महंगाई भत्ते का भुगतान नहीं करने का निर्णय लिया है.
सरकारी कर्मचारियों के वेतन में 30 फीसदी कटौती का फरमान
इसके अलावा सामान्य प्रशासन विभाग ने जीएडी के प्रस्ताव में 1 जुलाई 2020 से एक वर्ष के लिए सेवानिवृत्ति के बाद अनुबंधित सरकारी कर्मचारियों आधिकारियों के 30 फीसदी वेतन में कटौती करने का फैसला किया गया है.
कोरोना महामारी की वजह से चौपट हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार भी अब निजी कंपनियों के नक्शेकदम पर चलती दिख रही है.
निजी कंपनियों के रास्ते पर रुपाणी सरकार
एक ओर कुछ निजी कंपनियां अपनी लागत कम कर रही हैं और कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर रही हैं. ऐसे में गुजरात सरकार भी निजी कंपनियों के नक्शेकदम पर चलती हुई नजर आ रही है.
सरकार ने 1 जनवरी 2020 से 31 मार्च 2021 तक पंचायत सेवा के कर्मचारियों को देय महंगाई भत्ते का भुगतान नहीं करने का निर्णय लिया है.
शनिवार को अतिरिक्त सचिव ज्वलंत त्रिवेदी द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया है.
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इससे पहले रूपाणी सरकार ने लिया था फैसला
राज्य सरकार ने इससे पहले विधायकों, मंत्रियों, विपक्ष के नेता और विधान सभा के अध्यक्ष के वेतन में कटौती करने का फैसला किया है.
राज्य सरकार ने इस संबंध में अप्रैल में एक अध्यादेश जारी किया था. जिसे विधानसभा के अगले सत्र में पास कराने के लिए सदन के पटल पर रखा जाएगा.
कोरोना की वजह से लागू तालाबंदी से भारत की अर्थव्यवस्था ठप्प सी पड़ गई है. ऐसे में अर्थव्यवस्था को एक बार फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकारें तरह-तरह की कोशिशें कर रही है.
लेकिन गुजरात सरकार पहले जनप्रतिनिधियों के वेतन में कमी करने के बाद अब सरकारी अधिकारियों के वेतन में कटौती करने का फैसला किया है.
ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही सरकारी अधिकार रूपाणी सरकार के इस फैसले का विरोध भी कर सकते हैं.
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