- कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच सामने आई चौंकाने वाली जानकारी
- कोरोना वैक्सीन की उम्मीदों पर फिरा पानी
- रूस की कोरोना वैक्सीन पर खड़े हो रहे हैं सवाल
- भारत को मिलने वाला था रूसी कोरोना वैक्सीन की 10 करोड़ डोज
भारत के साथ ही साथ कोरोना का कहर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. लेकिन इन दिनों सबसे ज्यादा नए मामले भारत में दर्ज किए जा रहे है.
इसलिए सबसे ज्यादा कोरोना वैक्सीन की बेसब्री से इंतजार भारत कर रहा है. लेकिन इस बीच चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है.
सवालों के घेरे में रूस की कोरोना वैक्सीन
दुनिया में सबसे पहले कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा करने वाले रूस की स्पुतनिक-5 की क्षमता पर एक बार फिर से सवाल उठने शुरू हो गए हैं.
दरअसल सवाल इसलिए उठ रहे है कि जिन भी लोगों को स्पुतनिक-5 का ट्रायल के दौरान डोज दिया गया था उनमें से हर सात में से एक में शख्स में साइड इफेक्ट के लक्षण देखने को मिल रहे हैं.
इसकी जानकारी खुद रूस के स्वास्थ्य मंत्री ने दी.
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रूस के स्वास्थ्य मंत्री ने दी जानकारी
रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल ‘मॉस्को टाइम्स’ को दिए गए बयान के हवाले से समाचार एजेंसी टास ने दावा किया कि जिन वॉलंटियर्स को यह वैक्सीन दी गई है.
उनमें से लगभग 14 फीसदी में साइड इफेक्ट देखने को मिले हैं. इन वॉलंटियर्स में हल्की कमजोरी, 24 घंटे तक मांसपेशियों में दर्द और शरीर के तापमान में वृद्धि जैसी कई शिकायतें सामने आई है.
भारत में नवंबर तक मिल सकती है रूसी कोरोना वैक्सीन की 10 करोड़ डोज
भारत में बेहद तेजी से बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है.
खबर है कि रूस में कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक V बनाने वाली सरकारी कंपनी RDIF ने भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनी डॉक्टर रेड्डीज के साथ 10 करोड़ वैक्सीन के डोज तैयार करने के लिए करार किया है.
इस करार के मुताबिक नवंबर तक भारत में रूसी कोरोना वैक्सीन की 10 करोड़ डोज उपलब्ध हो सकती हैं.
खबर के अनुसार RDIF ने रूस के स्पुतनिक वी वैक्सीन के भारत में क्लिनिकल ट्रायल और वितरण के लिए Dr. Reddy’s लेबारेटरीज से समझौता किया है.
समझौते के अनुसार रूसी कंपनी भारत में Dr. Reddy’s को 10 करोड़ टीके की आपूर्ति करेगी.
रूस पर भड़का WHO
इस बीच कोरोना के वैक्सीन बनने का दावा करने वाली रूस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन भड़क गया है.
WHO ने कहा है कि रूस ने उनके साथ वैक्सीन और टेस्टिंग की प्रक्रिया से जुड़ी जानकारी साझा ही नहीं की है.
इतना ही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल किए बगैर ही उसके उत्पादन के लिए लाइसेंस जारी कर दिया जाना खतरनाक साबित हो सकता है.
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