- कैबिनेट बैठक में मोदी के आगमन पर भी चर्चा
- डांग के अलावा तमाम सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों का नाम तय
- जनता के बीच पहुंचने के लिए भाजपा ने अपनाया टेक्नोलॉजी
गांधीनगर: विधानसभा उपचुनाव को लेकर भाजपा एक्शन मोड में आ गई है. कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी में विधानसभा उपचुनाव को लेकर विस्तृत चर्चा हुई.
भाजपा चिंतित क्योंकि एक निजी सर्वे में आठ में से पांच सीटें खोने की जानकारी सामने आई है. इसीलिए भाजपा ने चार सीटों पर शक्ति परिक्षण करने का फैसला किया है.
विधानसभा उपचुनाव को लेकर बीजेपी कल से चुनावी प्रचार का आगाज करने वाली है. मिल रही जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री चार रैलियों को संबोधित करेंगे.
उपचुनाव में भाजपा के प्रति माहौल बनाने के लिए प्रधानमंत्री के आगमन पर भी चर्चा हुई. पीएम मोदी 31 अक्टूबर को अहमदाबाद आ सकते हैं.
वह साबरमती रिवरफ्रंट से नर्मदा के बीच शुरू होने वाले सी प्लेन सर्विस का उद्घाटन कर सकते हैं.
उपचुनाव से पहले जनता के बीच पहुंचने के लिए भाजपा ने अपनाया टेक्नोलॉजी
इस हेल्प डेस्क का उद्घाटन गुजरात के मुख्यमंत्री विजयभाई रूपाणी ने किया. बीजेपी ने एक व्हाट्सएप हेल्प डेस्क शुरू की है ताकि नागरिक सरकारी योजनाओं के बारे में घर बैठे जानकारी हासिल कर सकें.
विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी इस हेल्प डेस्क के माध्यम से उपलब्ध होगी. इस डिजिटल हेल्प डेस्क से कुछ ही मिनटों में हकीकत का पता लगाया जा सकता है.
इतना ही नहीं अब आम आदमियों को सरकारी योजना की जानकारी हासिल करने के लिए विभागों का चक्कर भी नहीं लगाना पड़ेगा.
उपचुनाव से ठीक पहले भाजपा डिजिटल माध्यम से लोगों तक पहुंचने का एक नया तरीका अपनाया है.
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डांग के अलावा तमाम सीटों पर भाजपा उम्मीदवार तय
भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में लिंबडी, गढडा और डांग सीटों पर उम्मीदवारों नामों पर चर्चा की गई. पांच पूर्व विधायक जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा को ज्वाइन कर लिया है उन्हे टिकट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
जबकि गढडा के लिए आत्माराम परमार का नाम निश्चित माना जा रहा है. इस प्रकार माना जा रहा है कि भाजपा की आठ सीटों में से छह के उम्मीदवार लगभग निश्चित हो गए हैं.
उपचुनाव को लेकर भाजपा में अंदरूनी खीचतान तेज हो गई है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस से आने वाले अगर 5 पूर्व विधायकों को पार्टी टिकट देती है तो पार्टी में नाराजगी बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.
इन परिस्थितियों में भाजपा आलाकमान के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि असंतोष की आग को बुझाया जाए और इसका असर उपचुनावों पर ना पड़े.
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