केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन 22वें दिन भी जारी है. farmers movement
राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. केंद्र सरकार किसानों के साथ बैठक कर कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है.
लेकिन न तो सरकार कानून वापस लेने को तैयार है और न ही किसान पीछे हटने को तैयार.
सुप्रीम कोर्ट में आज फिर होगी सुनवाई
कल सुप्रीम कोर्ट में किसानों को रास्ते से हटाने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने कहा है कि यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है इसलिए जरूर हो जाता है कि वो किसान संगठनों का पक्ष सुने.
अदालत ने अब किसान संगठनों को नोटिस दिया है. आज कोर्ट में एक बार फिर से किसानों को बॉर्डर से हटाने वाली याचिका पर सुनवाई होनी है.
इस बीच भारतीय किसान यूनियन दोआबा के प्रदेश अध्यक्ष मंजीत सिंह ने बताया, “अभी तक हमें सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोई नोटिस नहीं मिला है.
जब तक वापस नहीं लिया जाएगा कानून जारी रहेगा आंदोलन farmers movement
बीते 22 दिनों से धरना पर बैठे किसानों का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता आंदोलन जारी रहेगा. जबकि सरकार कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नहीं है.
हालांकि सरकार की ओर से कानूनों में संशोधन किए जाने की भरोसा दिया गया है. बावजूद इसके किसान अपनी जिद पर अड़े हैं. farmers movement
किसान नेताओं ने अब खुलकर मोदी सरकार के खिलाफ बोलने लगे हैं. किसान नेताओं का कहना है सर्दी की सीजन में किसान खुले आसमान के नीचे बीते 22 दिनों से बैठे आंदोलन कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक किसानों को लेकर एक शब्द भी नहीं कहा वह रेडियो पर मन की बात जरूर करते हैं लेकिन किसानों की मन की बात नहीं करते. farmers movement
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