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किसानों के आंदोलन का 29वां दिन, कानून रद्द करने की मांग पर अड़े

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कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का हल्लाबोल जारी है. किसानों ने कल आपसी बैठक के बाद बातचीत के लिए सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. 29th day of farmer movement

किसानों के आंदोलन का आज 29 वां दिन है. किसानों के समर्थन में जहां कांग्रेस आज दिल्ली में मार्च निकालने का फैसला किया है.

वहीं किसान भी राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर कानून को रद्द करने की मांग को लेकर डटे हुए हैं.

किसानों के आंदोलन का 29 वां दिन 29th day of farmer movement

कोरोना संकट के बीच किसान 26 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर सर्दी के इस सीजन में खुले आसमान के नीचे डटे हुए हैं.

मोदी सरकार जहां कानून में संशोधन के लिए बातचीत करने को तैयारी दिखा रही है वहीं किसानों का कहना है कि कानून रद्द करने से नीचे उन्हें कुछ और मंजूर नहीं.

किसान और सरकार के बीच अबतक कई दौर की बातचीत हो चुकी है बावजूद इसके कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. 29th day of farmer movement

किसान चौपाल से जुड़ेंगे पीएम

भाजपा विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगा रही है. इतना ही नहीं भाजपा बीते कुछ दिनों से किसान सम्मेलन नामक प्रोग्राम कर नए कृषि कानून को लेकर किसानों को जागरुक कर रही है.

इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर 25 दिसंबर को पूरे उत्तर प्रदेश में ढाई हजार किसानों के चौपाल के साथ जुड़ेंगे.

बीजेपी पूरे प्रदेश में ढाई हजार से अधिक जगहों पर किसानों से संपर्क का अभियान चलाएगी जिसमें प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ेंगे.

डैमेज कंट्रोल में लगी भाजपा 29th day of farmer movement

किसानों आंदोलन के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नए कृषि कानूनों के समर्थन में अपना अभियान तेज कर दिया है. 29th day of farmer movement

उत्तर प्रदेश में 26 और 27 दिसंबर को बीजेपी के कार्यकर्ता घर-घर जाएंगे और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर की चिट्ठी को दिखाकर किसान हित में किए कार्यों को गिनाएंगे.

इसके साथ ही मलिन बस्तियों में केंद्र की योजनाओं को बताएंगे. लेकिन विपक्ष सवाल उठा रहा है कि जिन कानून को जिसके लिए बनाया गया है अगर वहीं विरोध कर रहा है.

तो फिर सरकार जबरदस्ती क्यों इस कानून को किसानों के सिर थोपना चाहती है.

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