अहमदाबाद: हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन बिहार में मिली शानदार कामयाबी के बाद अब धीरे-धीरे अलग-अलग राज्यों में भी अपने पैर पसारने में लगी है. Gujarat AIMIM
लेकिन ओवैसी की पार्टी पर विपक्ष के लोग अक्सर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाते हैं. Gujarat AIMIM
दरअसल विपक्ष इसलिए आरोप लगाता है क्योंकि ओवैसी की पार्टी मुस्लिम बहुल इलाकों में अपने उम्मीदवार खड़ा करती हैं और मुस्लिमों के वोटों को ध्रुवीकरण करती है.
ओवैसी की पार्टी बीजेपी की बी टीम है या नहीं इस पर चर्चाएं तेज हैं लेकिन गुजरात में जिस तरीके से AIMIM का अध्यक्ष कांग्रेस के पूर्व एमएलए साबिर काबलीवाला को बनाया उसे देखकर साफ होता है कि कहीं ना कहीं ओवैसी की पार्टी भाजपा की तरफ झुकाव जरूर रखती है. Gujarat AIMIM
गुजरात मेंऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन की एंट्री ऐसे वक्त में हुई जब कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. Gujarat AIMIM
कांग्रेस इन दिनों ना तो संगठन के हिसाब से मजबूत है ना जमीन पर. जिसका फायदा लेने के लिए AIMIM मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने अपने दो प्रतिनिधिमंडल को गुजरात भेजा था.
जिसका मकसद गुजरात में बिखरे हुए मुस्लिम वोटों को एमआईएम में तब्दील करना. Gujarat AIMIM
AIMIM के प्रतिनिधिमंडल में औरंगाबाद से सांसद इम्तियाज जलील और दूसरा नाम महाराष्ट्र के पूर्व एमएलए वारिस खान पठान आए. इस प्रतिनिधिमंडल ने गुजरात में आकर जिस तरह से राजनीतिक कारनामों को अंजाम दिया उससे पहले दिन से ही मवालियों की पार्टी का पदार्पण गुजरात में होने की चर्चा होने लगी और सभ्य मुस्लिम समाज ने इस प्रतिनिध मंडल से दूरी करने बनाने में ही अपनी भलाई समझी. Gujarat AIMIM
पार्टी के नेताओं ने गुजरात में 3 दिनों का दौरा किया इस दौरान इम्तियाज जलील और वारिस खान पठान के इर्द-गिर्द ऐसे लोगों का जमावड़ा देखने को मिला जिन क्या इतिहास भले ही आज सफेद अक्षर में लिखा जाता हो लेकिन इनकी कहानी भूत में काली ही रही थी. Gujarat AIMIM
ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या एक लंबे वक्त से मुस्लिम जो गुजरात की सियासत में हाशिए पर चले गए थे उनको ओवैसी की पार्टी राजनीतिक भागीदारी दिलाने के लिए आई है, या फिर गुंडे, भूमाफियाओं और ड्रग्स सरगनाओं को पनाह देने ? Gujarat AIMIM
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औरंगाबाद के सांसद इम्तियाज जलील और वारिस खान पठान जब अहमदाबाद एयरपोर्ट पर आए तो उनके इर्द-गिर्द सिर्फ असामाजिक तत्वों का जमावड़ा दिखाई दिया. Gujarat AIMIM
इम्तीयाज जलील के सबसे करीब अहद खान दिखे. अहद खान वहाब खान का बेटा है. यह वही वहाब खान का बेटा है जिसने अहमदाबाद की सड़कें निर्देषों के खून से रंगा है.
जिसने दरियापुर, शाहपुर, कालूपुर जैसे इलाकों में लंबे वक्त तक आतंक बना रखा था. लतीफ के बाद वहाब खान पठान के दौर को भी अहमदाबाद के मुस्लिम इलाकों में रहने वाले लोग देख चुके हैं.
आज अहद खान के अलावा पार्टी में कई ऐसे लोग भी जुड़ना चाहते हैं और साबिर काबलीवाला से चिपके हैं जिनका गुनाहों की दुनिया से नाभिनाल के संबंध हैं.
लतीफ के दौर के ज्यादातर गैंगस्टर आज बिल्डर बन गए हैं और अब AIMIM और काबलीवाला के रास्ते राजनीतिक सरपरस्ती हासिल करने के जुगाड़ में हैं.
काबलीवाला की खुद की पहचान पूर्व एमएल होने के बावजूद जमालपुर से बाहर नहीं है और जमालपुर में भी वॉर्ड इलेक्शन जीतने की भी औकात नहीं है.
ऐसे में गुर्गों की सवारी कर काबलीवाला जैसे- तैसे अपनी खोई हुई पहचान हासिल करना चाहते हैं. Gujarat AIMIM
अहमदाबाद की सबसे सुरक्षित सीटों में सुमार जमालपुर से साबिर काबलीवाला को 2007 में कांग्रेस ने उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा था.
छीपा समाज से आने वाले साबिर काबलीवाला को शानदार जीत मिली थी. लेकिन उसके बाद होने वाले 2012 के चुनाव में साबिर काबलीवाला के टिकट को काट दिया गया और उनकी जगह पर कांग्रेस के दिग्गज नेता वजीर खान पठान के पुत्र समीर खान पठान को मैदान में उतारा गया. Gujarat AIMIM
इस बात से नाराज साबिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतर गए और मुस्लिमों के लिए सबसे अच्छी सबसे सुरक्षित मानी जा रही जमालपुर से समीर खान को हार का सामना करना पड़ा, नतीजा यह निकला कि भाजपा के उम्मीदवार भूषण भट्ट की शानदार जीत हुई, इस दौरान साबिर काबलीवाला उस वक्त के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से लगातार मिलते रहे.
जिसके बाद अटकलें तेज हो गई थी कि वह जल्द ही भाजपा में शामिल हो जाएंगे.
2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से काबलीवाला ने जमकर लाइजनिंग की. कांग्रेस के आलाकमान से मुलाकात की और जीत का पूरा भरोसा दिलाया. Gujarat AIMIM
टिकट मिलने से पहले उन्होंने जश्न भी मना लिया लेकिन काबलीवाला के व्यक्तिगत राजनीतिक वजूद को देखते हुए कांग्रेस ने टिकट इमरान खेड़ावाला को दिया. खेड़ावाला ने जिसे जीत में बदला.
गुजरात के मुस्लिमों की जनसंख्या की बात की जाए तो 9 फीसदी से ज्यादा है. 2017 गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पांच मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था.
जिनमें से तीन उम्मीदवारों को कामयाबी मिली. ओवैसी की पार्टी गुजरात में आने के बाद मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण करेगी जिससे कांग्रेस को नुकसान होगा और भाजपा को फायदा.
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