भजन सम्राट नरेंद्र चंचल (Narendra Chanchal) का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है. नरेंद्र काफी समय से बीमार चल रहे थे. पिछले तीन दिनों से उनका इलाज दिल्ली के अपोलो अस्पताल में चल रहा था. उन्होंने आज दोपहर करीब 12.15 बजे अंतिम सांस ली.
नरेंद्र ने कई प्रसिद्ध भजनों के साथ हिंदी फिल्मों में भी गाने गाए हैं. उन्होंने न सिर्फ शास्त्रीय संगीत में अपना नाम कमाया बल्कि लोक संगीत में भी लोगों की दिल जीता. नरेंद्र चंचल (Narendra Chanchal) के निधन की खबर सामने आने के बाद बॉलीवुड और उनके फैंस शोक में हैं.
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बचपन से ही था भजन का शौक
नरेंद्र चंचल (Narendra Chanchal) ने बचपन से ही अपनी मां कैलाशवती को मातारानी के भजन गाते हुए सुना. इसी वजह से उनकी रुचि भी गायकी में बढ़ी. चंचल ने प्रेम त्रिखा से संगीत सीखा, फिर वह भजन गाने लगे थे. उनके शरारती स्वभाव और चंचलता की वजह से उनके शिक्षक उन्हें ‘चंचल’ कहकर बुलाते थे. बाद में नरेंद्र ने अपने नाम के साथ हमेशा के लिए चंचल जोड़ लिया.
उन्होंने राज कपूर की फिल्म बॉबी में ‘बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो’ गाना गाया। ये गाना आज भी लोगों की जुबान पर रहता है. नरेंद्र को पहचान मिली फिल्म ‘आशा’, में गाए माता के भजन ‘चलो बुलावा आया है’ से जिसने रातों रात उन्हें मशहूर बना दिया. उन्होंने न सिर्फ शास्त्रीय संगीत में अपना नाम बनाया बल्कि लोक संगीत में भी लोगों की दिल जीत लिया.
कोरोना पर गाया गाना
हाल ही में नरेंद्र चंचल (Narendra Chanchal) ने कोरोना को लेकर एक गाना गाया था, जो काफी वायरल हुआ था. माता वैष्णो देवी को लेकर उनकी खास आस्था थी. साल 1944 से लगातार माता वैष्णो देवी के दरबार में आयोजित होने वाली वार्षिक जागरण में हाजिरी लगाते थे, लेकिन इस बार कोरोना की वह से ये संभव नहीं हो पाया.