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किसी भी बाहरी ताकत को हम अपने वायु क्षेत्र में घुसने नहीं देंगे: एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी

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नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना की 89वीं वर्षगांठ के मौके पर आज वायुसेना गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की जीत की कहानी पेश करेगा. इस वर्ष भारत-पाकिस्तान युद्ध की 50वीं वर्षगांठ है और भारतीय वायु सेना इस वर्ष को जीत के वर्ष के रूप में मना रही है. 8 अक्टूबर को भारतीय वायु सेना दिवस परेड में 1971 के युद्ध में शामिल लोगों को संबोधित कॉल साइन के साथ एक फॉर्मेशन शामिल होगा. इस अवसर पर राफेल, एलसीए तेजस, जगुआर, मिग-29 और मिराज 2000 लड़ाकू जेट एक साथ उड़ान भरेंगे.

परेड को वायुसेना अध्यक्ष वीआर चौधरी ने संबोधित किया. इस मौके पर चौधरी ने कहा कि भारतीय वायुसेना ने कोरोना महामारी के दौरान बहुत अच्छा काम किया है. वर्तमान समय में कई चुनौतियां बढ़ रही हैं. किसी भी बाहरी ताकत को हमारी सीमाओं में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

भारतीय वायु सेना में तेजी से हुआ बदलाव

वायु सेना दिवस पर, वायु सेना अध्यक्ष ने कहा कि युद्ध लड़ने का तरीका बदल रहा है. इसीलिए भारतीय वायुसेना ने भी तेजी से बदलाव किया है. हम भी आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहे हैं, जहां भारत निर्मित तकनीकों के सहारे हाई-टेक प्रोजेक्ट तैयार किए जा रहे हैं. हमें परिचालन प्रशिक्षण को डिजिटल रूप से बदलना होगा.

1961 से दिया जा रहा है वायु सेना पदक

वायु सेना पदक एक भारतीय सैन्य सम्मान है जो सामान्य शांति के समय में उत्कृष्ट सेवा के लिए दिया जाता है. यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जाता है. वायु सेना पदक 17 जून 1960 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा स्थापित किया गया था और 1961 से सम्मानित किया जा रहा है. यह सम्मान बहादुरी और समर्पण के लिए 2 श्रेणियों में दिया जाता है. एक वायु सेना पदक (वीरता) के लिए है और दूसरा वायु सेना पदक (कर्तव्य के प्रति समर्पण) के लिए दिया जाता है.

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