दिल्ली: यूपी सरकार लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा की जांच पूर्व जज की निगरानी में करवाने के लिए सहमत हो गई है. कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए यूपी सरकार को फटकार लगाई थी. अदालत ने जांच की निगरानी के लिए उच्च न्यायालय के कुछ पूर्व न्यायाधीशों को नामित किया था. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस राकेश जैन को नियुक्त करना चाहते हैं. लेकिन नियुक्ति से पहले हमें एक दिन चाहिए.
सुनवाई 17 नवंबर तक स्थगित
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 17 नवंबर तक के लिए टाल दी है. कोर्ट में यूपी सरकार की ओर से पेश हरीश साल्वे ने कहा कि हम किसी भी जज से जांच के लिए तैयार हैं.
खबरों के मुताबिक कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि जांच के लिए गठित विशेष जांच दल में कुछ अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी शामिल किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कि ये अफसर यूपी काडर के हों, लेकिन यूपी के रहने वाले ना हों. मंगलवार तक इनके नाम मांगे हैं.
लखीमपुर खीरी मामले की पिछली सुनवाई 8 नवंबर को हुई थी. कोर्ट ने हिंसा मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने निराशा व्यक्त की थी. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं है, जैसा हम उम्मीद कर रहे थे वैसे कुछ भी नहीं है. शीर्ष अदालत ने जांच की प्रगति पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह हमारी उम्मीदों के अनुरुप कुछ भी नहीं हो रहा. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट में यह कहने के अलावा कुछ भी नया नहीं है कि और गवाहों से पूछताछ की गई है. अदालत ने लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा करने का सुझाव दिया है.
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