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जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव का रास्ता हुआ साफ, परिसीमन आयोग की रिपोर्ट जारी

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केंद्र की मोदी सरकार ने पांच अगस्त 2019 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे़ को समाप्त कर दिया था. इसके अलावा मोदी सरकार ने तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था. केंद्र के इस फैसले से पहले ही उस वक्त के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया था. उस फैसले के लंबे अरसे बाद आज परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट जारी कर दी है, जिससे विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ हो गया है.

परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की तमाम 5 संसदीय सीटों पर समान संख्या में विधानसभा सीटे होंगे. इसके अलावा पहली बार जम्मू-कश्मीर में 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रखी गई है. 90 विधानसभा सीटों में 43 जम्मू संभाग में होंगी, जबकि 47 कश्मीर संभाग में कर दी गई हैं. अभी तक कश्मीर क्षेत्र में विधानसभा की 46 सीटें और जम्मू क्षेत्र में 37 सीटें हुआ करती थी.

डिलिमिटेशन कमीशन के सदस्य और मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने इस सिलसिले में जानकारी देते हुए बताया कि आज परिसीमन आयोग ने अपना नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इसमें 90 विधानसभा सीटें हैं और 5 संसदीय क्षेत्र की सीटें हैं. 90 सीटों में से 43 सीटें जम्मू के लिए हैं और 47 सीटें कश्मीर क्षेत्र के लिए हैं.

डिलिमिटेशन कमीशन के सदस्य सुशील चंद्र ने जानकारी देते हुए आगे बताया कि पहली बार जम्मू-कश्मीर में 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रखी गई हैं, इसमें से 3 सीटें कश्मीर क्षेत्र के लिए हैं और 6 सीटें जम्मू क्षेत्र के लिए हैं.

सुशील चंद्र के मुताबिक सबसे बड़ा ध्यान रखा गया है कि एक ही ज़िले में ही विधानसभा सीटें हो पहले एक ही MLA कई ज़िलों में जा रहा था. हर संसदीय क्षेत्र में 18 विधानसभा की सीटें आएंगी.

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