नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने भारतीय दंड संहिता की धारा-124 ए (देशद्रोह) का फिर से परीक्षण और पुनर्विचार करने का फैसला किया है. केंद्र ने अपने हलफनामा में कहा कि इस दौरान वह देशद्रोह से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई न करे. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मामले को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशद्रोह कानून के प्रावधान पर फिर से विचार करने और पुनर्विचार करने को कहा है. प्रधानमंत्री ने अप्रचलित राजद्रोह कानून को हटाने का आग्रह किया.
राजद्रोह कानून मामले पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राजद्रोह कानून का मालमा कई दिनों से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. हमने सुप्रीम कोर्ट को साफ-साफ बताया कि प्रधानमंत्री के आदेश पर ये फैसला लिया गया है कि राजद्रोह कानून पर हम पुनर्विचार और पुन: जांच करेंगे. अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे लगभग 1500 ऐसे कानून हैं जिनकी जरूरत नहीं थी और उन्हें हमने हटाया है और राजद्रोह कानून भी पुराना कानून है.
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि सरकार उचित रूप से हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि देश की संप्रभुता और अखंडता को संरक्षित किया जाए, जबकि देशद्रोह पर कानून की पुन: जांच और पुन: विचार किया जाए.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के मुताबिक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आईपीसी की धारा 124ए, 1860 की वैधता की जांच में अपना कीमती समय नहीं लगाने और भारत सरकार द्वारा किए जाने वाले सेक्शन 124ए पर फिर से विचार करने की प्रतीक्षा करने का आग्रह किया है.