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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड फैसले का करते हैं सम्मान, लेकिन फैसले से नहीं संतुष्ट

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अयोध्या में सारी बहस और तथ्यों के बीच आज सुप्रिम कोर्ट ने मंदिर बनाने के रास्ते को साफ कर दिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का आदेश जारी किया है. कोर्ट में विवादित जमीन पर मालिकाना हक किसका है इस मामले को लेकर पिछले महीने लगातार 40 दिनों तक सुनवाई हुई थी और फैसला को सुरक्षित रख लिया था. 100 साल से ज्यादा पुराने इस विवाद से जुड़े सभी सवालों के जवाब आज मिल तो गया लेकिन यह फैसला अंतिम फैसला होगा यह कहना थोड़ा जल्दबाजी होगी. फैसला आने के बाद रिव्यू पिटीशन दाखिल की जा सकती है इसको लेकर बाकायदा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ऐलान भी कर दिया है.

इस मामले को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी आज इस मामले को लेकर एक प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन कर कहा कि पूरा फैसला पढ़ने के बाद आगे क्या करना है और कैसी रणनिती बनानी है इसके बारे में फैसला लिया जाएगा. वहीं उन्होंने कहा कि कोर्ट के इस फैसले का सम्मान जरुर करते हैं लेकिन जो फैसला कोर्ट ने दिया है उससे संतुष्ट नहीं. इस फैसला में विरोधाभास भी नजर आ रहा है.

रिव्यू पिटीशन यानी कि पुनर्विचार याचिका उसी बेंच के पास आती है जो बेंच फैसला सुनाती है. जस्टिस रंजन गोगोई की इस बेंच में उनके अलावा जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. यदि 17 नवंबर के पहले पुनर्विचार याचिका आती है तो इसे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ही सुनेगी. लेकिन यदि यह पिटीशन इसके बाद आई तो अगले चीफ जस्टिस तय करेंगे कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई के लिए मौजूदा पीठ में जस्टिस गोगोई की जगह पांचवा जज कौन होगा. सुप्रीम कोर्ट यह भी तय करेगा कि रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई की जाए या नहीं की जाए.