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राजस्थान में दो हिस्सों में बंटी कांग्रेस, आलाकमान के सख्ती के बाद नरम हुआ बागियों का रुख

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कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव को लेकर राजस्थान में सियासी संकट गहराता जा रहा है. अध्यक्ष पद के चुनाव की रेस में गहलोत का नाम सबसे आगे चल रहा है. जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि गहलोत के बाद सचिन पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. लेकिन उससे पहले पार्टी के 90 विधायकों ने पार्टी से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया है. माना जा रहा है कि गहलोत समर्थक विधायकों को बगावत के लिए उकसाया गया था जिसके बाद विधायकों ने पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से भी मिलने से इनकार कर दिया था.

लेकिन अब जानकारी सामने आ रही है कि सचिन पायलट को रोकने के लिए गहलोत का यह दांव फेल हो गया है और वह अपने ही जाल में फंसते हुए नजर आ रहे हैं. एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की संभावनाओं पर करीब-करीब विराम लग गया है. वहीं दूसरी तरफ बगावत करने वाले समर्थक विधायक आलाकमान की सख्ती के बाद पलटी मार रहे हैं. कई विधायक सामने आकर कह चुके हैं कि पार्टी आलाकमान का हर फैसला उन्हें मंजूर है और पायलट को सीएम बनाए जाने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है.

राजस्थान सरकार में मंत्री महेश जोशी के मुताबिक दो दिन पहले विधायक दल की बैठक हुई थी अचानक पिर से बैठक आ गई जिस पर लोगों के मन में सवाल आया कि फिर से बैठक क्यों बुलाई गई है… 7 बजे बैठक थी और हमने लोगों को धारीवाल जी के घर पर 5 बजे विचार-विमर्श के लिए बुलाया. हमारा मकसद था कि विधायक दल की बैठक में तरह-तरह की बातें न उठे और इसलिए हमने आपस में बात करने का निर्णय लिया था.

इसके अलावा महेश जोशी ने सफाई देते हुए आगे कहा कि वहां पर सारी बातें साफ तरीके से हुई और सभी विधायकों ने हमारी बात का समर्थन किया. मैं नहीं समझता कि किसी भी विधायक ने बिना पढ़े पत्र पर हस्ताक्षर किया और अगर किसी ने बिना पढ़े हस्ताक्षर किया है तो वे अध्यक्ष से जाकर मिल सकते हैं. हमारी मांग है कि जिन्होंने कांग्रेस को कमज़ोर करने की और सरकार गिराने की कोशिश की उनमें से किसी को भी CM के पद लिए न चुना जाए.

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