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12 साल की बच्ची को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश से रोका, केरल सरकार ने महिलाओं को सुरक्षा देने से किया इनकार

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पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटी दी थी और केरल सरकार ने मंदिर में प्रवेश करने के लिए आ रही महिलाओं को सुरक्षा का पूरा आश्वासन दिया था. अभी कुछ दिनों पहले इस मामले को लेकर दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस याचिका को सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया है लेकिन आज एक 12 साल की लड़की को मंदिर में जाने से रोक दिया गया.

सबरीमाला मंदिर के कपाट खोले जाने के बाद चौथे दिन पुलिस ने एक 12 साल की लड़की को मंदिर जाने से रोक दिया. लड़की पुडुचेरी से अपने पिता और रिश्तेदारों के साथ आई थी और उसे पंबा बेस स्टेशन से मंदिर के लिए आगे नहीं जाने दिया गया. बताया जा रहा है कि क्यू बुकिंग में लड़की की उम्र 10 साल लिखी गई थी लेकिन पुलिस ने लड़की के आधार कार्ड की जांच के बाद पाया कि उसकी उम्र 12 साल है. जिसके बाद उस लड़की को मंदिर में जाने की इजाजत नहीं दी गई.

इससे पहले मंदिर के कपाट खोले जाने वाले दिन पुलिस ने 10 महिलाओं को मंदिर जाने से रोक दिया था. पुलिस ने कहा था कि माहवारी की उम्र वाली 10 महिलाएं आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से आए 50 लोगों के समूह का हिस्सा थीं.

वहीं कर्नाटक से आई एक नौ साल की लड़की ने अपनी गर्दन में एक तख्ती टांग रखी थी. तख्ती में लिखा था कि मैं इंतजार करने के लिए तैयार हूं और पचास साल के बाद मंदिर में प्रवेश करूंगी.

युवतियों को मंदिर में जाने से रोकने के लिए पुलिस निलक्कल पर सभी वाहनों की जांच कर रही है. निलक्कल सबरीमला मंदिर जाने के लिए पहला बेस स्टेशन है. इसके बाद तीर्थयात्री पंबा बेस स्टेशन पहुंचते हैं. निलक्कल में महिला पुलिस कॉनस्टेबलों को तैनात किया गया है.

इससे पहले 15 नवंबर को जब सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मामले में डाली गई पुनर्विचार याचिका को सुनवाई के लिए सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया तब केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के मिले जुले फैसले का हवाला देते हुए कहा कि वो मंदिर में प्रवेश करने के लिए आ रहीं युवतियों को पुलिस सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी.