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#बैठकपुराण रावपुरा: मूल सवाल एक ही है, क्या राजेंद्र इस बार बीजेपी का ‘रार’ बनेंगे?

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वडोदरा के शहरी क्षेत्र की रावपुरा सीट अपने नाम के अनुरूप ही मिजाज रखती है. इस सीट से निर्वाचित नेता को राज्य सरकार में प्रमुख स्थान मिलता रहा है. ताजा उदाहरण मौजूदा विधायक राजेंद्र त्रिवेदी हैं. दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद, वे विधानसभा के अध्यक्ष बने और फिर कैबिनेट मंत्री बने. यह सीट नब्बे के दशक की शुरुआत से ही बीजेपी का गढ़ रही है, जब बीजेपी गुजरात में पैर जमाने की कोशिश कर रही थी. रावपुरा में 1980 से 2017 तक हुए कुल 13 चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार 6 बार जीत हासिल कर चुके हैं. लगभग 3 लाख मतदाताओं वाली इस सीट के 95% मतदाता शहरी और शिक्षित हैं. वडोदरा के कुछ हिस्से जैसे समा और छणी गांव भी इस निर्वाचन क्षेत्र में शामिल हैं.

मिजाज:
हमेशा से बीजेपी समर्थक रही इस सीट के मतदाता राजनीतिक रूप से जागरूक माने जाते हैं. अपने प्रतिनिधि को सरकार में जगह दिलाने की आग्रह रावपुरा के मतदाताओं की विशेषता रही है. भाजपा के योगेश पटेल ने यहां से लगातार पांच बार जीत हासिल की और नए परिसीमन के बाद मांजलपुर सीट से चुनाव लड़े थे.

रिकॉर्ड बुक

साल विजेता पार्टी मार्जिन
1998 योगेश पटेल भाजपा 25330
2002 योगेश पटेल भाजपा 64554
2007 योगेश पटेल भाजपा 52923
2012 राजेंद्र त्रिवेदी भाजपा 41535
2017 राजेंद्र त्रिवेदी भाजपा 36650

कास्ट फैब्रिक
सबसे दिलचस्प बात यह है कि गुजरात की सभी सीटों के विपरीत, इस सीट पर लगभग कोई जातिवाद नहीं है. मराठा क्षत्रिय, मराठी ब्राह्मण, वाणिक, लोहाणा, राणा, भरवाड़, रबारी जैसी पचरंगी समुदाय वाली इस सीट पर कोई एक जाति ऐसी नहीं है जिसका वजन भारी हो. इस सीट से जमीन से जुड़ा और जनसंपर्क करने वाला कोई भी नेता जीत सकता है. इसे देखते हुए गुजरात की कुछ गिनी-चुनी सीटों पर रावपुरा का नाम लिया जाना है, जहां जातिगत समीकरण बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं हैं.

समस्या:
शहरी क्षेत्र होने के कारण, यातायात के अलावा, सड़क और विशेष रूप से खेल परिसर के काम में रुकावट के खिलाफ स्थानीय स्तर पर नाराजगी दिखाई दे रही है. भाजपा के प्रति वफादार होने के बावजूद नगर पालिका पार्किंग जोन विकसित करने में विफल रही है. प्रमुख बाजारों में रोड-रास्ते पर दुकान लगाने वाले लोगों की समस्या का समाधान भी नहीं हो सका है.

मौजूदा विधायक का रिपोर्ट कार्ड
राजू वकील के रूप में स्थानिक लोगों में जाने जा रहे राजेंद्र त्रिवेदी इस सीट से दो बार निर्वाचित हुए हैं. इस बार भी उन्हें एक मजबूत दावेदार माना जा रहा था, लेकिन अब बिना कोई कारण बताए अचानक राजस्व मंत्रालय छीन लिए जाने के बाद उनका टिकट भी खतरे में माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी यहां से किसी युवा चेहरे को चुनावी मैदान में उतार सकती है.

प्रतियोगी कौन है?
कांग्रेस के नरेंद्र रावत या ऋतविज जोशी इस सीट के दावेदार माने जा रहे हैं. लेकिन जमीनी स्तर पर काम किए बिना कांग्रेस का बीजेपी को उसके ही गढ़ में हराने की संभावना बहुत कम है.

तीसरा कारक:
आम आदमी पार्टी को यहां मजबूत उम्मीदवार की तलाश है. यहां गैर-राजनीतिक क्षेत्र के कुछ नामों पर चर्चा की जा रही है. आम आदमी पार्टी जिस तरह का माहौल बना रही है, उसे देखर ऐसा लग रहा है कि आम आदमी पार्टी भाजपा की बढ़त में चुनाव आने तक काफी कमी ला सकती है.