प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना को शुरू किया है. इस योजना द्वारा करीब 50 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों को निशुल्क इलाज की सुविधा मुहैया करवाने का दावा किया जा रहा है. योजना शुरु होने के बाद गरीबों को काफी रहत मिल रहा है. इस योजना के तहत प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये तक के इलाज के लिए कैशलेश कवरेज प्रदान किया जाता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस महत्वकांक्षी योजना में वैसे तो पूरे देश में फर्जीवाड़ा की शिकायत मिल रही है लेकिन अब नये फर्जीवाड़ा का मामला नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में सामने आया है. मिल रही चौंकाने वाली जानकारी के अनुसार गुजरात में एक ही परिवार के पास 1700 आयुष्मान कार्ड मिले हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना के तहत दो लाख से ज्यादा फर्जी गोल्डन कार्ड बनवाए गए हैं. इस फर्जीवाड़े की पहचान नेशनल हेल्थ ऑथरिटी (एनएचए) के आईटी सिस्टम से हुई है. यह आंकड़ा और अधिक बढ़ सकता है. फर्जी कार्ड बनवाकर पैसे हड़पने के ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तराखंड और झारखंड से सामने आए हैं. जो लोग इस योजना के पात्र नहीं हैं, उन लोगों ने भी आयुष्मान कार्ड बनवा लिया है. इस मामले में एनएचए के डिप्टी सीईओ प्रवीण गेडाम ने कहा कि राज्यों से पूरे आंकड़े मंगवाए जा रहे हैं. पूरे आंकड़े आने के बाद स्थिति साफ हो जाएगी. फर्जीवाड़े को पकड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी सहारा लिया जाएगा.
फर्जीवाड़े का शक तब हुआ जब निजी अस्पतालों ने सरकार को इलाज के बड़े-बड़े बिल भेजने शुरु किए. इनमें से कई बिलों का भुगतान भी किया गया. लेकिन फर्जीवाड़ा पकड़े जाने पर सरकार ने इन अस्पतालों से 4 करोड़ रुपये का जुर्माना भी वसूल किया है. फर्जी बिल भेजने वाले 150 से ज्यादा अस्पतालों को इस योजना से बाहर कर दिया गया है. मध्य प्रदेश और बिहार के 1350 से ज्यादा बिलों को भी संदिग्ध पाया गया है. छत्तीसगढ़ के एएसजी अस्पताल में एक परिवार के नाम पर 109 कार्ड बन गए और इसमें से 57 ने आंख की सर्जरी भी करा ली. पंजाब में दो परिवार के नाम पर 200 कार्ड सामने आए. मध्य प्रदेश में एक परिवार के 322 कार्ड बने मिले.
बता दें कि सितंबर 2018 में आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत अब तक 70 लाख से ज्यादा लोगों का इलाज हुआ है. सरकार ने इलाज का खर्च वहन करते हुए 4500 करोड़ से ज्यादा की रकम का भुगतान भी अस्पतालों को किया है.