गांधीनगर: साल के दूसरे महीने का 27 वां दिन इतिहास के पन्नों में एक दुखद घटना दर्ज की गई थी. दरअसल 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में हिंसक लोगों ने आग लगा दी गई थी. 19 years of Godhra scandal
इस दर्दनाक हादसे में 59 कार सेवक मारे गए थे. ये सभी कार सेवक अयोध्या से गुजरात लौट रहे थे. इस हादसे के बाद गुजरात सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलसने लगा था.
उस दिन क्या हुआ था? 19 years of Godhra scandal
27 फरवरी की सुबह साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन गोधरा रेलवे स्टेशन से अहमदाबाद आने के लिए निकली ही थी कि किसी ने चेन खींच कर रोक लिया था. 19 years of Godhra scandal
उसके बाद ट्रेन पर पथराव किया गया और उसके एस -6 कोच में आग लगा दी गई. कोच में लगने वाली आग की लपटें डिब्बे से बाहर निकल रही थीं.
आग की वजह से कोच में सवार यात्री जल गए थे इसमें ज्यादातर कार सेवक थे जो राम मंदिर आंदोलन के तहत अयोध्या में एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद वापस अहमदाबाद लौट रहे थे.
मौजूदा प्रधानमंत्री को करनी पड़ी थी शांति की अपील
गोधरा में होने वाले इस हादसे के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे और जान-माल की भारी क्षति हुई.
उस समय स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को शांति बनाए रखने की अपील करनी पड़ी थी. 19 years of Godhra scandal
जिस समय यह घटना हुई, उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. पूरी घटना को एक साजिश मानते हुए, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी शाम को एक बैठक बुलाई.
इस बैठक को लेकर विपक्ष ने कई सवाल उठाए थे.
मामले की जांच के लिए गठित नाणावती आयोग ने भी माना कि अनियंत्रित भीड़ ने ट्रेन के कोच में पेट्रोल बम फेंका और उसमें आग लगा दी थी. 19 years of Godhra scandal
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