नोटबंदी को लेकर आज भी पीएम मोदी के फैसले की आलोचना की जाती है. इस बीच पीएम के प्रधान सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा ने एक बड़ा खुलासा किया है. नृपेंद्र मिश्रा ने बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2016 में नोटबंदी के बाद 2,000 रुपये (2000 Note) के पुराने नोट जारी करने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन सर्वसम्मति के साथ फैसला किया था.
2014 से 2019 के बीच पीएम के प्रधान सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा ने मोदी के 70वें जन्मदिन के अवसर पर टाइम्स ऑफ इंडिया के एक कॉलम में लिखा कि कैसे पीएम ने इस कदम पर पूरी तरह से स्वामित्व रखा और निर्णय से सहमत नहीं होने के बावजूद अपने सलाहकारों को दोष नहीं दिया.
नृपेंद्र मिश्रा ने लिखा,
‘ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जहां उन्होंने सलाह या राय का पूरी तरह से समर्थन नहीं किया है, लेकिन संस्थागत ढांचे के लिए सहमति से बाहर सहमति के साथ चले गए. 2016 में नोटबंदी की तैयारियों के दौरान वह 2,000 रुपये (2000 Note) के नए नोट जारी करने के विचार के बारे में पूरी तरह से आश्वस्त नहीं थे, लेकिन उन लोगों के सुझाव को स्वीकार किया, जिन्होंने महसूस किया कि उच्च मूल्यवर्ग के नोटों की तेजी से छपाई से नकदी की उपलब्धता बढ़ जाएगी.’
मालूम हो कि मोदी सरकार ने काले धन और नकली नोटों पर अंकुश लगाने के प्रयास में नवंबर 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों (पुराने) की कानूनी निविदा रद्द कर दी थी. इसका तर्क यह था कि उच्च मूल्य के नोटों का उपयोग कर चोरों और जमाखोरों द्वारा किया जाता है.
2000 और 500 के नोटों की किल्लत
सरकार ने 2,000 (2000 Note) और 500 रुपये के नोट (नई श्रृंखला) दोनों का उपयोग करते हुए अर्थव्यवस्था को फिर से जारी करने के बावजूद मार्च 2017 के अंत तक प्रचलन में एक साल पहले की तुलना में 20 प्रतिशत नोटों की कम हो गई.
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मालूम हो कि नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार ने 2000 रुपए के नोट (2000 Note) जारी किए थे. 500 और 1000 रुपए के नोट को बंद करने के बाद सरकार ने 2000 के नोट (2000 Note) को जारी किया, लेकिन बीते कुछ महीनों में एटीएम मशीनों से 2000 रुपए (2000 Note) के नोट नहीं निकल रहे हैं. वहीं 200 के नकली नोटों में भारी वृद्धि देखी गई है.
कुछ बैंकों ने से आधिकारिक तौर पर कहा है कि वो अपने एटीएम में 2000 रुपए के नोट (2000 Note) नहीं रख रहे हैं. 2019-20 में, मूल्य के हिसाब से 2,000 रुपए के नोटों (2000 Note) का, कुल प्रचलित मुद्रा में 23 प्रतिशत हिस्सा था, जो 2018-19 में 31 प्रतिशत, और 2017-18 में 37 प्रतिशत था.
क्या कहता है आरबीआई
वहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2000 रुपए के एक भी नोट नहीं छापे गए हैं. जहां 2000 रुपए के नोटों (2000 Note) की संख्या में कमी आई है तो वहीं 500 और 200 रुपए के नोटों की संख्या में इजाफा हुआ है. RBI के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान बीते एक साल में एक भी 2000 रुपए के नोटों की छपाई नहीं हुई है.
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में 2000 रुपए नोटों की संख्या घटकर 2.4 प्रतिशत रह गई है. जो कि मार्च 2019 में 3 फीसदी और 2018 में 3.3 फीसदी थी.
चलन में दो हजार (2000 Note) के नोटों की हिस्सेदारी लगातार घटी है. साल 2020 बाजार में चलन में जारी किए गए नोटों की संख्या में दो हजार के नोटों की हिस्सेदारी घटकर 22.6 प्रतिशत रह गई है. मार्च 2019 के अंत तक में इसकी हिस्सेदारी 31.2 प्रतिशत था.
मालूम हो कि नवम्बर 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार ने 500 और 1,000 रुपए के नोटों को वैध करेंसी के तौर पर रद्द कर दिया था. नोटबंदी के फैसले के बाद, सरकार ने 2000 रुपए के नए नोट, 500 रुपए के नए सीरीज़ के नोट और 200 रुपए के नए नोट शुरू किए थे.