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कोरोना संकट के बीच कर्नाटक में रेजिडेंट डॉक्टरों का सांकेतिक विरोध, जानिए वजह

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देशभर में कोरोना महामारी से लड़ रहे डॉक्टर लोगों के लिए भगवान के प्रयाय बन चुके हैं. इसी तरह कर्नाटक में भी डॉक्टर जी-जान से जुटे हुए हैं. जब से राज्य में महामारी का असर शुरू हुआ, ये रेजिडेंट डॉक्टर दिन-रात अस्पतालों में ड्यूटी निभा रहे हैं. इस बीच रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन की ओर से स्टाइपेंड राशि बढ़ाने के आग्रह पर राज्य सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. ऐसे में राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में करीब 8000 रेजिडेंट डॉक्टर्स ने मोमबत्तियों के साथ सांकेतिक विरोध किया.

शिवमोग्गा से गदग, मांड्या से बेंगलुरु तक, रेजिडेंट डॉक्टर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी नाराजगी दिखाने के लिए बाहर निकले. जो रेजिडेंट डॉक्टर कोविड-19 मरीजों के इलाज की ड्यूटी पर थे या जो क्वारेंटीइन में हैं, उन्होंने वहीं से सांकेतिक विरोध को समर्थन दिया.

डॉक्टरों ने सवाल किया कि राज्य सरकार की ओर से उन्हें इतना कम स्टाइपेंड क्यों दिया जाता है, जबकि दिल्ली में दिया जाने वाला स्टाइपेंड 90,000 और हरियाणा में 80,000 रुपए है. रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक में रेजिडेंट डॉक्टर्स को 30,000 से 40,000 रुपये ही स्टाइपेंड मिलता है. 2015 से इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. डॉक्टरों के अनुसार, यह मुद्दा पिछले 5 वर्षों से चल रहा है.

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