लगातार बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ आवाज उठाने और उनका विकल्प होने का दावा करने वाली कंपनी पतंजलि ने अपने पहले के रुख से यूटर्न ले लिया है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार स्वदेशी का झंडा बुलंद करने वाली पतंजलि आयुर्वेद अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों से हाथ मिलाने का मन बना चुकी है.
खबर के अनुसार पतंजलि आयुर्वेद के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने कहा है कि उनके पास तीन-चार ग्लोबल कंपनियों के ऑफर हैं जो पतंजलि के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डील करना चाहती हैं. बालकृष्ण ने कहा कि जब तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का हमारे मूल्यों से कोई टकराव नहीं होता है तो हमें उनके साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं है.
उन्होंने कहा कि हम एमएमसी को सिर्फ इस लिए नहीं नकार सकते हैं कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं. बालकृष्ण ने कहा कि हम कंपनियों की तरफ पेश किए गए प्रस्तावों पर विचार कर रहे हैं. मालूम हो कि लग्जरी सामान बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी एलएमवीएच ने पिछले साल जनवरी में पतंजलि आयुर्वेदिक लिमिटेड में हिस्सेदारी खरीदने को लेकर रुचि दिखाई थी.
कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर ने रवि ठाकरान ने कहा था कि यदि हम एक मॉडल तलाश कर सके तो हमें उनके साथ काम करने में खुशी होगी. मालूम हो कि पतंजलि आयुर्वेद ने बाजार में उतरने के बाद पहले से मौजूद कई वैश्विक और स्थानीय कंपनियों जैसे हिंदुस्तान यूनिलिवर, कोलगेट पामोलिव और डाबर के सामने कड़ी चुनौती पेश की है.
ठाकरान का कहना था कि पतंजलि में दुनिया में छा जाने का माद्दा है. एलएमवीएच के अधिकारी ने कहा था कि पतंजलि अपने प्रोडक्ट को अमेरिका, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया और यूरोप में बेच सकती है। इस काम में एल कैटेरन उसकी मदद कर सकता है। इतना ही नहीं साल 2017 में पतंजलि ने केएफसी में हिस्सेदारी खरीदने में रुचि जताई थी लेकिन उस समय उसका एंटी-एमएनसी रुख आडे़ आ गया था।
पतंजलि आयुर्वेद का यह रुख बाबा रामदेव के उस रुख से बिल्कुल अलग है जिसमें वह कहते थे कि वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों को शीर्षासन कराएंगे। इन कंपनियों के दिल में भारत के प्रति कोई प्यार नहीं है। रामदेव अक्सर इस बात को कहते रहे हैं कि पतंजलि आयुर्वेद ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नींद उड़ा रखी है।