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सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आएगा CJI दफ्तर: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल के याचिका पर आज सुप्रिम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है . प्रधान न्यायाधीश के कार्यालय को सूचना के अधिकार कानून के दायरे में लाने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने आज अहम फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और ऑफिस ऑफ सीजेआई आरटीआई के दायरे में लाते हुए कहा कि ‘ट्रांसपेरेंसी ज्यूडिशियल इंडिपेंडेंसी’ को कमतर नहीं आंकती है. हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया था कि चीफ जस्टिस का पद सूचना के अधिकार के दायरे में आता है.

 

सीजेआई रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आज अपराह्न दो बजे फैसला सुनाया। पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना हैं। फैसला सुनाए जाने का नोटिस मंगलवार अपराह्न उच्चतम न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट पर सार्वजनिक किया गया था। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने उच्च न्यायालय और केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेशों के खिलाफ 2010 में शीर्ष अदालत के महासचिव और केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा दायर अपीलों पर गत चार अप्रैल को निर्णय सुरक्षित रख लिया था।