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महाराष्ट्र में नई सरकार बनने के बाद उठ रहे हैं कई सवाल, सूरज उगने से पहले ही हट गया राष्ट्रपति शासन

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महाराष्ट्र में जहां लोग गहरी नींद में थे वहीं राज्यपाल भवन के तमाम स्टाफ अपने कामकाज में मुस्तैद नजर आ रहे थे. इतना ही नहीं शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी नई सुबह का इंतजार कर रहे थे कि सुबह हो और सरकार बनाने को लेकर राज्यपाल से मुलाकात करें. इन तीनों पार्टियों के नेता राज्यपाल से मिलते और फिर राज्यपाल अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजते मंत्रालय वह रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजती उसके बाद राज्य से राष्ट्रपति शासन खत्म होता. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और रातोंरात ऐसा कुछ हुआ जिसकी वजह से समझदार लोग कई तरीके का सवाल खड़ा कर रहे हैं.

नियम के मुताबिक़ पहले राज्यपाल अपनी रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजते हैं, सरकार वह रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजती है. उसके बाद राष्ट्रपति इस पर फ़ैसला लेते हैं. अब सवाल यह उठता है कि महामहिम राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट कब सरकार को भेजी और सरकार ने कब अपनी सिफ़ारिशें राष्ट्रपति के पास भेजी? क्या यह सारा कुछ रात भर में ही हो गया?

जानकारों का यह भी कहना है कि सबसे पहले बदली हुई राजनीतिक स्थिति से राज्यपाल का संतुष्ट होना ज़रूरी है. अब सवाल यह है कि क्या राज्यपाल इससे संतुष्ट हो गए थे कि नई सरकार बन सकती है और इसलिए राष्ट्रपति शासन हटना चाहिए और उन्हें इसकी सिफ़ारिश कर देनी चाहिए.

लेकिन यदि देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से मुलाक़ात की तो यह राजभवन के रिकार्ड में ज़रूर होगा. उनके समय माँगने का समय दर्ज होगा और जिस समय उन्होंने मुलाक़ात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया होगा, वह समय भी दर्ज होगा.

संविधान के जानकारों का कहना है कि यह सब ज़रूरी नहीं है यदि राज्यपाल संतुष्ट हैं तो वे सीधे राष्ट्रपति शासन ख़त्म करने की सिफ़ारिश कर सकते हैं और राष्ट्रपति शासन ख़त्म होने के बाद सीधे शपथ भी दिलवा सकते हैं। क्या महाराष्ट्र में ऐसा ही हुआ है?