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महाराष्ट्र अपडेट: सुप्रीम कोर्ट के सामने पहले भी आ चुके हैं ऐसे मामले, जानें क्या आया था फैसला

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देवेंद्र फडणवीस की सीएम और अजित पवार को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले के खिलाफ शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. तीनों दलों की संयुक्त याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज 10:30 बजे अपना फैसला सुना सकती है.

महाराष्ट्र में बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है, जबकि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का दावा है कि बहुमत उनके पास है. ऐसे में इस मसले को सुलझाने के लिए फ्लोर टेस्ट का विकल्प ही एक बड़ी संभावना है. सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री अजित पवार का पक्ष भी सुना. कोर्ट ने नोटिस जारी कर केंद्र और राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है. यह पहला मौका नहीं है, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के केस का सामना किया हो. इससे पहले यूपी, उत्तराखंड, गोवा, कर्नाटक और झारखंड के मामले भी सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पहुंच चुके हैं.

जब हटाई थी यूपी की कल्याण सिंह सरकार

बात 1998 की है, जब राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त कर कांग्रेस नेता जगदंबिका पाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया. कल्याण सिंह ने 225 पाए, जबकि जगदंबिका पाल को 196 वोट मिले.

झारखंड में मुंडा को बहुमत, सोरेन ने ली शपथ

2005 में भी सुप्रीम कोर्ट ने लगभग ऐसा ही मामला देखा, जब एनडीए के अर्जुन मुंडा के बहुमत का दावा करने के बावजूद जेएमएम के शिबू सोरेन को शपथ दिला दी गई। इसके बाद कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया।

उत्तराखंड, मई 2016

हरीष रावत सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कहा गया। कोर्ट से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की गई, लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। हरीष रावत ने फिजिकल डिविजन के जारिए सदन में अपना बहुमत साबित किया।

गोवा, मार्च 2017

कांग्रेस द्वारा बहुमत और सबसे बड़ी पार्टी का दावा करने के बावजूद मनोहर पर्रिक्कर ने शपथ ली। पर्रिक्कर ने 21 विधायकों के समर्थन का दावा किया। पर्रिक्कर से बहुमत साबित होने तक कोई भी नीतिगत फैसला नहीं लेने को कहा गया। कोर्ट ने यह कहते हुए फ्लोर टेस्ट की मांग खारिज कर दी कि जब कोई पार्टी बहुमत साबित करने की स्थिति में नहीं होती है, तभी इसका सहारा लिया जाता है।

कर्नाटक, जुलाई 2017

कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आई। कांग्रेस और जेडीएस ने चुनाव पश्चात गठबंधन कर लिया। इसके तुरंत बाद राज्यपाल ने बीजेपी के येदियुरप्पा को शपथ दिलाई और बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया। कांग्रेस और जेडीएस मामले को सुप्रीम कोर्ट लेकर गई। सुप्रीम कोर्ट ने 3 दिन में फ्लोर टेस्ट कराने को कहा। सदन में बहुमत न मिलता देख येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा।