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फिल्म ‘रवांडा’ को आईसीएफटी यूनेस्को गांधी पुरस्कार, ‘बहत्तर हूरें’को भी मिला पुरस्कार

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रिकार्डो सेल्वेची द्वारा निर्देशित फिल्म ‘रवांडा’ को अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्मोत्सव के समापन अवसर पर ‘आईसीएफटी यूनेस्को गांधी पुरस्कार’ प्रदान किया गया. वहीं ‘इफ्फी’ को उसकी स्थापना के 50 साल पूरे होने पर ‘आईसीएफटी यूनेस्को फेलिनी पुरस्कार’ प्रदान किया गया.

अंतरराष्ट्रीय फिल्म टेलीविजन और दृश्य श्रवय संवाद (आईसीएफटी) ज्यूरी यूनेस्को के आदर्शो के आधार पर पुरस्कार के लिए फिल्म का मूल्यांकन करती है. यूनेस्को ने महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के मौके पर 1994 में इस संबंध में एक स्मृति पत्र जारी किया था. उसके बाद से ‘आईसीएफटी यूनेस्को गांधी पुरस्कार’ हर साल एक ऐसी फिल्म को दिया जाता है जो शांति, सहिष्णुता और अहिंसा के महात्मा गांधी के आदर्शो को श्रेष्ठ रूप में प्रतिबिम्बित करती है.‘रवांडा’ फिल्म में इतिहास के एक भयानक नरसंहार को दिखाया गया है जो कि एक सच्ची घटना है.

इस साल इस पुरस्कार की दौड़ में सात विदेशी फिल्में ‘रवांडा’, ‘सेंकटोरम’, ‘द इनफिलट्रेटर्स’, ‘द वार्डन’, ‘वाइटिलिटी’ और एक भारतीय फिल्म ‘बहत्तर हूरें’ शामिल थीं. इसी कड़ी में भारतीय फिल्म निर्देशक संजय पूरन सिंह की ‘बहत्तर हूरें’ को आईसीएफटी यूनेस्को विशेष उल्लेख श्रेणी का पुरस्कार प्रदान किया गया. इस फिल्म की कहानी कुछ इस प्रकार है कि एक आतंकी प्रशिक्षण ठिकाने पर बिलाल और हकीम को निर्देश दिया जाता है कि यदि वे अपना जीवन अल्लाह के नाम कर देंगे तो उन्हें जन्नत में 72 हूरों का ईनाम मिलेगा. मुंबई आतंकी हमले के बाद हकीम और बिलाल बहुत आश्चर्यचकित हो जाते है जब वे देखते हैं कि 72 हूरों की बाहों के बदले वे एक अस्पताल में है जहां उनके भूत उनके शरीर के शव परीक्षण को देखते हैं.

भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2019 इफ्फी के ‘भारतीय पनोरमा वर्ग’ में इस फिल्म में हिंसक आतंक के वास्तविक परिणामों को दिखाया गया है और आग्रह किया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को सम्मान और गौरव प्रदान किया जाना चाहिए. इफ्फी को एशिया का सबसे पुराना और सबसे प्रतिष्ठित फिल्म समारोह माना जाता है. इफ्फी के इस स्वर्ण जयंती समारोह में इस बार 76 देशों की 200 से अधिक फिल्में दिखाई गईं.