2002 के गुजरात दंगों पर बनाई गई जस्टिस नानावती मेहता आयोग की फाइनल रिपोर्ट आज राज्य विधानसभा में पेश की गई जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को क्लीनचिट दी है. गोधरा ट्रेन जलने और उसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के कारणों की जांच के लिए नानावती आयोग का गठन किया गया था. आयोग ने अपनी पहली रिपोर्ट 25 सितंबर 2008 को विधानसभा में पेश किया था. इस रिपोर्ट में साबरमती ट्रेन की एस 6 बोगी में 58 राम भक्तों को सोची समझी साजिस के तहत आग के हवाले करने का उल्लेख किया गया है. इससे पहले आयोग ने अपनी फाइनल रिपोर्ट 18 नवंबर 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसे रोक दिया था. अब पांच साल बाद इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किया गया.
गृहमंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने कांग्रेस और एनजीओ पर बोला हमला
विधानसभा में पेश रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दूसरे कई मंत्रियों को क्लीनचिट दिया है. इस मामले को लेकर गुजरात के गृहमंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने कहा कि कुछ एनजीओ और कांग्रेस मोदी की छवि को खराब करना चाहते थे. लेकिन रिपोर्ट में क्लीनचिट दिया गया है. नानावती-मेहता रिपोर्ट-2 में कहा गया है गोधरा में ट्रेन हादसा एक सोची समझी साजिस के तहत हुई थी. इतना ही नहीं उन्होंने संजीव भट्ट और राहुल शर्मा और आरबी श्रीकुमार जैसे वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका को भी रिपोर्ट में नकारात्मक बताई गई है. साथ ही साथ कुछ एनजीओ पर भी सवाल खड़ा किया गया है. जाडेजा ने कहा कि रिपोर्ट में एनजीओ और कांग्रेस का पर्दाफाश किया गया है. क्योंकि हादसे के दौरान कई लोग कांग्रेस का बैक ग्राउंड रखते थे.
राज्य के गृहमंत्री प्रदीप सिंह ने कहा कि आयोग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिया है. साथ ही आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तत्कालीन मंत्री हरेन पंड्या, भरत बारोट और अशोक भट्ट की किसी भी तरह की भूमिका साफ नहीं होती है. रिपोर्ट में अरबी श्रीकुमार, राहुल शर्मा और संजीव भट्ट की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं.
गृह मंत्री प्रदीप सिंह ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी पर आरोप लगा था कि किसी भी जानकारी के बिना वो गोधरा गए थे. इस आरोप को आयोग ने ख़ारिज कर दिया है. इसके बारे में सभी सरकारी एजेंसियों को जानकारी थी. आरोप था कि गोधरा रेलवे स्टेशन पर ही सभी 59 कारसेवकों का शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया था. इस पर आयोग का कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश से नहीं बल्कि अधिकारियों के आदेश से पोस्टमार्टम किया गया था.
गोधराकांड के बाद भड़क गए थे दंगे
बता दें कि साबरमती एक्सप्रेस में 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर आग लग गई थी. इसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे. गोधरा ट्रेन अग्निकांड में मारे गए अधिकतर लोग कार सेवक थे जो अयोध्या से लौट रहे थे. मामले की जांच करने के लिए गुजरात सरकार की तरफ से गठित नानावती आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि एस-6 कोच में लगी आग दुर्घटना नहीं थी, बल्कि उसमें आग लगाई गई थी.
गौरतलब है कि 2002 में दंगों में गुजरात पुलिस पर इस मामले में निष्क्रिय रहने के आरोप लगे थे. तीन दिन तक चली हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए थे जबकि कई लापता हो गए. आरोप लगते हैं कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंगाइयों को रोकने के लिए जरूरी कार्रवाई नहीं की. बाद में केंद्र की यूपीए सरकार ने दंगों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट दे दी थी.