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RB श्री कुमार ने बोला हमला, ऐसी रिपोर्ट ज्यूडिशरी के लिए हो सकती खतरनाक

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आज गुजरात विधानसभा के शीतकालीन सत्र में 2002 सांप्रदायिक दंगा को लेकर नानवटी कमीशन की फाइनल रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अशोक भट्ट,भरत बारोट और हरेन पंड्या को क्लीनचिट दी गई. वहीं 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान मोदी सरकार के रवैये सवाल खड़े करने वाले तीन आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ,राहुल शर्मा और आर बी श्री कुमार की भूमिका को नकारात्मक बताया गया.

रिपोर्ट में नकारात्म भूमिका सामने आने के बाद आर बी श्रीकुमार ने मोदी पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि संजीव भट्ट को केस को रफा-दफा करने के लिए दस लाख का ऑफर किया गया था. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि इस कमीशन को इसलिए गठित किया गया था ताकि नरेन्द्र मोदी और उनके सहयोगियों को क्लीनचिट दे सके. नेटवर्क 18 गुजराती को दिए इंटरव्यू में श्री कुमार ने नानावटी आयोग आरोप लगाते हुए कहा कि वह नरेन्द्र मोदी के खिलाफ एक भी एविडेंस लेने को तैयार नहीं थी. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि इस आयोग का गठन इंसाफ या जांच के लिए नहीं बल्कि मोदी को क्लीनचिट देने के लिए गठित किया गया था.

आर बी श्री कुमार ने आगे कहा कि जिस तरीके की रिपोर्ट पेश की गई है वह ज्यूडिशरी के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. उन्होंने कहा 2015 में अपनी किताब में उल्लेख किया था कि नानावटी रिपोर्ट में कुछ ऐसी ही रिपोर्ट पेश की जा सकती है. श्री कुमार दंगों के दौरान बहुत करीब से देखी गई दास्तान विस्तृत रूप से अपनी अंग्रेजी किताब Gujarat Behind the Curtain में दर्ज की है. जो गुजरात दंगों पर प्रकाशित होने वाली अब तक की सबसे प्रामाणिक और अहम किताब मानी जाती है. इस किताब में दंगों के दौरान सरकार के रवये पर लेखक ने परत दर परत कई ख़ुलासे किये हैं.

नानावटी कमीशन की रिपोर्ट को पूर्व आईपीएस आर बी श्रीकुमार ने खारिज करते हुए कहा कि जो रिपोर्ट आज लोगों के सामने पेश की गई है उसके लिए काफी मेहनत की गई थी. लेकिन रिपोर्ट में जिस तरीके से क्लीनचिट दी गई है उससे एक नहीं बल्कि कई सवाल खड़े हो रहे हैं

गौरतलब हो कि श्रीकुमार ने उच्च न्यायालय से राज्य सरकार को यह रिपोर्ट सार्वजनिक करने का निर्देश देने की दरख्वास्त की थी. राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्रीकुमार ने आयोग के समक्ष हलफनामा देकर गोधरा के बाद फैले दंगे के दौरान सरकार द्वारा कथित निष्क्रियता बरते जाने पर सवाल उठाया था. उन्होंने नवंबर, 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री आन्नदीबेन पटेल को प्रतिवेदन देकर इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की थी.