गुजरातीयों ने अपनी पसंद के नंबर के लिए 300 करोड़ रूपये खर्च किए हैं. 24,000 आवेदन अभी भी आरटीओ मे लंबित है.
वाहन पर एक पसंदीदा नंबर प्राप्त करने की जिद के कारण गुजरात सरकार के राजस्व में वृद्धि होती है. इसके लिए आरटीओ कार्यालय में पसंदीदा नंबर लेने के लिए 2014-15 में 2.34 लाख आवेदन,
2015-16 में 2.44 लाख, 2016-17 में 2.54 लाख, 2017-18 में 2.62 लाख, वर्ष 2018-19 में 2.50 लाख आवेदन आए हैं।
इसके विरूद्ध राज्य के वाहन विभाग ने 2014-15 में 2.20 लाख, 2015-16 में 2.31 लाख, 2016-17 में 2.41 लाख, 2017-18 में 2.49 लाख और 2018-19 में 2.26 लाख वाहनो को पसंदीदा नंबर दिए गये हैं.
औसतन, राज्य सरकार चुनिंदा नंबरों पर प्रति वर्ष अनुमानित 60 करोड़ रुपये कमा रही है.
राज्य सरकार ने चयन संख्या आवंटित करके पिछले पांच वर्षों में 300,60,00,136 रुपये कमाए हैं. वर्ष 2017-18 में राजस्व 65.54 करोड़ रुपये था. इस साल जून तक 64.18 करोड़ का राजस्व दर्ज किया गया है.