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CAAऔर NRC विरोध के बीच गुजरात का अनोखा किस्सा, हिन्दू परिवार की मांग भारत की नागरिकता खत्म की जाए

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हितेश चावड़ा, गांधीनगर: केंद्र सरकार जहां एक तरफ विदेशों में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्म को मानने वाले लोगों को भारत की नागरिकता देने वाला कानून यानी नागरिकता संशोधन कानून लागू कर चुकी है. ऐसे में गुजरात में रहने वाले हिंदू धर्म के 4 परिवार के कुल 14 सदस्यों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर भारतीय नागरिकता को खत्म करने की मांग अथवा अन्य देश की नागरिकता नहीं तो इच्छा मृत्यु की इजाजत की मांग की है.

गीर सोमनाथ जिला के आकोलाणी गांव में रहने वाले एक ही दलित परिवार के 27 वर्षीय पुत्र लालजी सरवैया को कुछ लोगों ने जिंदा जला दिया था. जिसके बाद परिवार को मजबूरी में गांव छोड़कर ऊना तहसील के डेलवाड़ा गांव में जाना पड़ा था. इस दलित परिवार का संपूर्ण पुनर्वास कानून के प्रावधानों के तहत कोई मदद नहीं की गई. इतना ही नहीं जिस गांव में भी ये दलित परिवार रहने के लिए जाता था वहां भी इस परिवार के लोगों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

जिससे परेशान होकर इस परिवार ने भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को एक खत लिखकर मांग किया कि उन्हें नागरिकता संशोधन कानून के तहत अन्य देश में या स्थानांतरित किया जाए या फिर इच्छा मृत्यु की इजाजत दी जाए.

खत लिखने वाले पियूष सरवैया ने गुजरात एक्सक्लूजिव के साथ बातचीत करते हुए कहा कि “हम भारत के नागरिक हैं, हम यहां पीढ़ियों से रह रहे हैं, बावजूद इसके हमें अपने गांव को छोड़कर 2012 से दूसरे गांव में रहना पड़ रहाहै जिसकी वजह से हम लोग परेशान हो चुके हैं. पिछले 8 वर्षों से हमने लिखित-मौखिक शिकायत कर चुके हैं बावजूद इसके गुजरात सरकार ने नियमों के अनुसार हमारी कोई मदद नहीं की. इतना ही नहीं हम हमारे परिवार को लेकर जिस गांव में भी गए वहां पर हमारा विरोध किया गया. फिलहाल मैं अपने परिवार के साथ देलवाड़ा गांव में रहता हूं, लेकिन इस तरीके की जिंदगी से अब परेशान हो चुके हैं इसलिए हमने भारत के राष्ट्रपति को खत लिखकर किसी अन्य देश की नागरिकता नहीं तो इच्छा मृत्यु की मांग की है”.