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UP में बीजेपी के मंत्री फैला रहे हैं नफरत का माहौल, धर्म देखकर पूछा जा रहा है हाल-चाल

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नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उत्तर प्रदेश में कई लोगों की मौत हुई थी जिन जिलों में सबसे ज्यादा सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था उसी में से एक है बिजनौर, जहां पर हिंसा से प्रभावित लोगों से मुलाकात करने पहुंचे उत्तर प्रदेश के मंत्री ने के मुलाकात ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया, जब उन्होंने हिंसा में मारे गए दो मुस्लिम युवकों के परिजनों से मिलने से इंकार कर दिया. मंत्री कपिल देव अग्रवाल बिजनौर जिले के नहटौर कस्बे में हुई हिंसा में ज़ख्मी हुए ओमराज सैनी के परिवार से मुलाकात करने के लिए गए थे, और दोनों मौतें भी इसी कस्बे में हुई थीं.

ओमराज सैनी के परिवार से मिलने के बाद बिजनौर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री कपिल देव अग्रवाल से पूछा गया, “सरकार कहती है, ‘सबका साथ, सबका विकास’, लेकिन नहटौर में आप ओमराज सैनी के घर गए, लेकिन उसी इलाके में रहने वाले दूसरे दो लोगों की भी मौत हुई है उनके घर क्यों नहीं गए इस तरह ‘सबका साथ, सबका विकास’ कैसे होगा?”

लेकिन मंत्री ने किसी भी तरह का भेदभाव करने के आरोपों का खंडन करते हुए कहा, “मुझे दंगा करने वालों के घरों में क्यों जाना चाहिए… मेरी बात सुनिए, जो दंगा कर रहे हैं, जो भावनाओं को भड़काना चाहते हैं, वे समाज का हिस्सा कैसे हो सकते हैं… मुझे वहां क्यों जाना चाहिए… यह हिन्दू-मुस्लिम के बारे में नहीं है, लेकिन मुझे दंगाइयों के पास क्यों जाना चाहिए…”

ओमराज के परिवार का दावा है कि वह किसी भीड़ का हिस्सा नहीं था, और वह खेतों से लौटते वक्त गोली का शिकार हुआ, जो कथित रूप से किसी दंगाई ने गैरकानूनी हथियार से चलाई थी.

उसी कस्बे में शुक्रवार को हुई हिंसा में मारे गए लोगों में IAS परीक्षा की तैयारी कर रहा 20-वर्षीय सुलेमान तथा 25-वर्षीय अनस शामिल थे. शुरुआती इंकार के बाद आखिरकार पुलिस ने कबूल किया था कि सुलेमान की मौत पुलिस की गोली से हुई, और वह उन कथित दंगाइयों में शामिल था, जिन्होंने एक पुलिस वाले पर देसी तमंचे से गोलियां चलाईं, और फिर आत्मरक्षा में पुलिस द्वारा चलाई गोली का शिकार हो गया. लेकिन सुलेमान के परिवार ने इस आरोप का खंडन किया है, और कहा है कि सुलेमान का विरोध प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं था.