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केरल विधानसभा में सीएए के खिलाफ पेश किया गया प्रस्ताव, विपक्ष ने दिया समर्थन

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पूरे देश में जहां नागरिकता संशोधन कानून का विरोध किया जा रहा है वहीं आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों ने इस कानून को अपने राज्य में लागू करने से इनकार कर दिया है. वहीं कुछ राज्य इस कानून को लेकर विचार-विमर्श कर रहे हैं. ऐसे में केरल विधानसभा में आज मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस कानून के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश करते हुए सीएए को वापस लेने की मांग किया. प्रस्ताव को पेश करते हुए विजयन ने कहा कि सीएए धर्मनिरपेक्ष नजरिए और देश के ताने बाने के खिलाफ है तथा इसमें नागरिकता देने में धर्म के आधार पर भेदभाव होगा. उन्होंने कहा, ‘यह कानून संविधान के आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों के विरोधाभासी है.

विधानसभा में केरल के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘केरल में धर्मनिरपेक्षता, यूनानियों, रोमन, अरबों का एक लंबा इतिहास रहा है. हर कोई हमारी भूमि पर पहुंचा है. ईसाई और मुस्लिम शुरुआत में केरल पहुंच गए थे. हमारी परंपरा समावेशिता की है. हमारी विधानसभा को इस परंपरा को जीवित रखने की आवश्यकता है. विजयन ने विधानसभा को यह भी आश्वासन दिया कि इस दक्षिणी राज्य में कोई हिरासत केंद्र (डिटेंशन सेंटर) नहीं खोला जाएगा.

सीपीआई (एम) के विधायक जेम्स मैथ्यू ने मुख्यमंत्री के विधानसभा में पेश किए प्रस्ताव का समर्थन किया. वहीं कांग्रेस के वीडी सतीशन ने भी सीएए के खिलाफ मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव का समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘एनआरसी और सीएए एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. सीएए साफतौर पर सिवंधान के अनुच्छेद 13,14 और 15 का उल्लंघन है.

सत्र शुरू होते ही विधानसभा में भाजपा के इकलौते विधायक ओ राजगोपाल ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह गैरकानूनी है क्योंकि संसद के दोनों सदनों ने सीएए कानून को पारित कर दिया है.