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CAA विरोध: विपक्ष के बाद अब बीजेपी को भी सता रही है संविधान की याद, संवैधानिक वैधता के रार में फंसा नागरिकता कानून

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नागरिकता संशोधन कानून संसद के दोनों सदनों में पास होने के बाद विपक्षी पार्टियां इसे हिन्दुस्तान की संविधान के मूल भावना के खिलाफ बता रही हैं. कानून को जल्द से जल्द वापस लेने की मांग कर जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. लेकिन अब इस कानून को लेकर बीजेपी भी संविधान की दुहाई देती हुई नजर आ रही है, दरअसल केरल की विधानसभा में इस कानून के खिलाफ पिछले दिनों एक प्रस्ताव लाकर इसे केरल में लागू नहीं करने का ऐलान किया गया है.

अब इस मामले को लेकर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का एक बयान सामने आया है उन्होंने कहा कि विधानसभा में पास होने वाले इस प्रस्ताव में कोई कानूनी या संवैधानिक वैधता नहीं है, क्योंकि नागरिकता विशेष रूप से एक केंद्र का विषय है, इसका वास्तव में कुछ महत्व नहीं है.

 

इससे पहले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ केरल विधानसभा द्वारा पारित प्रस्ताव को असंवैधानिक बताया था. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संविधान के अनुच्छेद 245/46 और 256 का हवाला देते हुए कहा था कि केरल विधानसभा का प्रस्ताव गलत है और संविधान की भावनाओं के खिलाफ है.

उन्होंने कहा था, ‘यह हैरान करने वाली बात है कि जिस सरकार ने संविधान की शपथ ली है, वह गैर संवैधानिक बात कर रही है कि नागरिकता संशोधन कानून राज्य में नहीं लागू होने देंगे. यह कानून संसद द्वारा पारित है. नागरिकता देना या लेना संविधान की सातवीं अनुसूची का विषय है और इस पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है. संसद नागरिकता संबंधी किसी विषय पर कानून बना सकती है.’