पूरे देश में CAA और NRC के मुद्दे पर होने वाले विरोध प्रदर्शन के दौरान फैज अहमद फैजी की कविता का पठन करने के बाद नया विवाद शुरु हो गया है, फैज की मशहूर कविता ‘हम देखेंगे लाजिम है कि हम भी देखेंगे’ क्या हिन्दू विरोधी है. जिसकी शिकायत पर एक समिति का गठन किया गया है जो जांच करेगी कि क्या वाकई में ये कविता हिन्दू विरोधी है या नहीं?
इस मामले को लेकर मशहूर गीतकार जावेद अख्तर ने कहा है कि फैज अहमद को हिंदू विरोधी बताना बहुत ही बेतुका और हास्यास्पद है. साथ ही उन्होंने कहा कि फैज अमहद फैज ने अपनी आधी जिंदगी पाकिस्तान के बाहर बिताई. उन्हें वहां पाकिस्तान विरोधी बताया गया.
#WATCH Javed Akhtar:Calling Faiz Ahmed Faiz ‘anti-Hindu’ is so absurd&funny that its difficult to seriously talk about it.He lived half his life outside Pakistan,he was called anti-Pakistan there.’Hum Dekhenge’ he wrote against Zia ul Haq’s communal,regressive&fundamentalist Govt pic.twitter.com/nOtFwtfjQ9
— ANI (@ANI) January 2, 2020
जावेद अख्तर ने कहा कि उन्होंने ‘हम देंखेंगे’ नामक कविता पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जिया-उल-हक की सांप्रदायिक, प्रतिगामी और कट्टरपंथी सरकार के खिलाफ लिखी थी.
आपको बता दें कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-कानपुर ने एक समिति गठित की है, जो यह तय करेगी कि फैज अहमद फैज की कविता ‘लाजिम है कि हम भी देखेंगे’ हिंदू विरोधी है या नहीं. फैकल्टी के सदस्यों ने कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने यह ‘हिंदू विरोधी गीत’ गाया था.