इन दिनों पूरे भारत में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर पूरे देश में विरोध की लहर दौड़ रही है. ऐसे में जहां आधा दर्जन से ज्यादा राज्य ने इस कानून का विरोध करते हुए इसे लागू नहीं करने का ऐलान किया है वहीं मोदी-शाह के गुजरात में इस कानून की रुपरेखा तैयार करने के लिए 10 जनवरी को विशेष सत्र बुलाया गया है. और माना जा रहा है कि विधानसभा में इस कानून के समर्थन में प्रस्ताव पास करवाया जाएगा.
वहीं इस मामले को लेकर गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने रुपाणी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बर्मा से आने वाले रुपाणी साहब अपने और अपने परिवार की नागरिकता को सिद्ध करने वाला कागज गुजरात की जनता को दिखाएं फिर गुजरात की साढे 6 करोड़ लोगों से इस कानून को लागू नागरिकता सिद्ध करने वाला कागज मांगे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि संविधान की मूल भावना और देश की कौमी एकता को आग लगाने वाले इस काले कानून को लागू करने के लिए सरकार की ओर से जो भी प्रस्ताव पास किया जाएगा उसको आग लगाकर इस काले कानून का विरोध किया जाएगा.
गुजरात विधानसभा का तीन दिन का शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर को ही समाप्त हुआ था, लेकिन इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा व राज्यसभा में पारित किए गए नागरिकता संशोधन कानून को गुजरात में लागू करने और इस कानून की रुपरेखा तैयार करने के लिए 10 जनवरी को विशेष सत्र बुलाया गया है. मुख्यमंत्री विजय रूपाणी कई मौकों पर स्पष्ट कह चुके हैं कि गुजरात में सीएए व एनआरसी दोनों ही कानून लागू किया जाएगा. हालांकि एनआरसी को लेकर फिलहाल केंद्र सरकार भी आश्वस्त नहीं है, लेकिन गुजरात सीएए के समर्थन में खड़ा नजर आना चाहता है, ताकि देश में सीएए के पक्ष में माहौल बनाया जा सके. लेकिन इन सभी के बीच मेवाणी ने इस कानून का विरोध करने की धमकी दी. लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि पूरे देश में इस कानून का विरोध करने वाली गुजरात कांग्रेस के विधायकों का क्या रवैया होगा.
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